त्रिवेंद्र रावत से एक दिन बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले डेढ़ वर्षों में उत्तर प्रदेश के जिलों, शहरों, कस्बों के नाम परिवर्तन के साथ-साथ सरकारी कार्यालयों में खूब भगवा पुताई करवाई है। रेलवे स्टेशन का नाम दीनदयाल उपाध्याय करने पर स्टेशन को भी भगवा रंग से पोत दिया गया था। इलाहाबाद को प्रयागराज और फैजाबाद को अयोध्या लिखवाने वाले योगी आदित्यनाथ का यह भगवा असर अब उत्तराखंड में भी देखने को मिल रहा है। कुछ दिन पहले विभिन्न सड़कों के डिवाइडरों पर काली और सफेद पट्टी की बजाय भगवा पट्टी से की गई शुरुआत अब पहली बार नगर निगम बने ऋषिकेश के दफ्तर में पहुंच गई है।
१५ वर्ष बाद ऋषिकेश में निकाय चुनाव में वापसी करने वाली भारतीय जनता पार्टी की नव निर्वाचित मेयर अनीता ममगाई के शपथ ग्रहण से पहले ऋषिकेश नगर निगम का कार्यालय भगवा रंग से रंगा जा रहा है।
निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में १५ वर्षों तक भाजपा-कांग्रेस को ऋषिकेश निकाय से बाहर रखने वाले दीप शर्मा की पत्नी बीना शर्मा को हराकर मेयर बनी अनिता ममगाई के लिए यह जीत किसी दिवास्वप्न से कम नहीं है। इस सीट पर दीप शर्मा की पकड़ सिर्फ इस कारण ढीली पड़ गई, क्योंकि सीट महिला आरक्षित हो गई और दीप शर्मा पत्नी को मेयर का चुनाव लड़ाने के साथ-साथ खुद सभासद का चुनाव लड़ गए थे, किंतु दोनों ओर से उलझने के कारण उन्हें दोनों सीटों से हार मिली।
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की मंशा है कि लंबी पारी खेलने के लिए भले ही विकास के लिए वे कर पाएं न कर पाएं, किंतु तीर्थनगरी ऋषिकेश में यदि उन्होंने इसी प्रकार धार्मिक रंग को लोगों की आंखों में चढ़ाए रखा तो २०१९ का चुनाव और आसान हो जाएगा।
देखना है कि पहली बार मेयर बनी अनीता ममगाई किस प्रकार इस भगवा कार्ड के भरोसे आगे की राजनीति को चलाती है।