पुरोला। नीरज उत्तराखंडी
प्रतिनिधियों ने लिखी पलायन की इबारत
विगत 10 वर्षों से जूनियर हाई स्कूल ‘सर’ का निर्माणाधीन भवन
जीर्ण-शीर्ण हालत में जूनियर हाई स्कूल डिगाडी का विद्यालय भवन
विकासखंड के सुदूरवर्ती एवं सीमांत क्षेत्र के अधिकांश सरकारी विद्यालयों में ढांचागत सुविधाओं के अभाव में जीर्ण-शीर्ण तथा छत विहीन विद्यालय भवनों में खुले आकाश तले संचालित किये जा रहे हैं। सरकार की लाख कोशिशों और दावों के बावजूद राज्य निर्माण के 18 वर्ष बाद भी सुदूरवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों मे शिक्षकों की कमी और संसाधन की दुर्दशा मे सुधार नहीं हुआ है।
सुविधा के अभाव में इन विद्यालयों से बच्चों के पलायन में बढोत्तरी हुई है।
विकासखंड पुरोला के सर बडियार क्षेत्र के आठ गाँव सर,लेवटाड़ी, डिंगाड़ी, कंसलौ, किमडार, पौंटी, गौल और छानिका गाँव वैसे तो मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इन आठ गाँव में सरकार ने पांच प्राथमिक एवं तीन जूनियर हाई स्कूल तो खोल दिए है लेकिन अध्यापकों की कमी एवं भवनों की जर्जर हालात के कारण अधिकांश अभिभावक अपने पाल्यो को बड़कोट, पुरोला में शिक्षा दिला रहे हैं। छात्र संख्या शून्य होने के कारण प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय पौंटी को शिक्षा विभाग ने बंद कर दिया है।वहीं प्राथमिक विद्यालय कसलौ में भी छात्र संख्या एक होने के कारण बंद होने की कगार पर है।
क्षेत्र के अन्य विद्यालयों में भी छात्र संख्या घट रही है। इसका मुख्य कारण विद्यालय भवनों की दुर्दशा भी है।
दुखद तो यह है कि उच्च प्राथमिक विद्यालय सर गाँव का विद्यालय भवन निर्माण का कार्य गत 10 वर्षों से चल रहा है।लेकिन निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है।
इसकी खिड़की दरवाजों पर लगी लकड़ी भी सड़ चुकी है। ग्रामीण कहते हैं कि इस संबंध में कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क करने के बावजूद भी विद्यालय भवन पूरा नही बन पाया है। ग्रामीणों ने इस संबंध में जिलाधिकारी से जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। प्राथमिक विद्यालय सर में 19 बच्चे अध्ययन कर रहे हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालय डिंगाड़ी का विद्यालय भवन भी जर्जर हो चुका है, छत सड़ गई है, फर्श टूट चुका है। इस विद्यालय में 14 बच्चे पढ़ रहे हैं।
इस क्षेत्र का यह दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि जो भी यहाँ ग्राम प्रधान बना वे यहाँ से पलायन कर रामासिराईं के कंडियाल गाँव, नागझाला,मोल्टाड़ी आदि स्थानों पर आकर बस गए हैं। और यहाँ के लोगों को उनकी हालत पर छोड़ दिया गया है।. क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश रावत बताते हैं कि इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को अवगत कराने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह भी है कि जो भी यहाँ से जनप्रतिनिधि बनता है, वही यहाँ से पलायन कर जाता है।
खंड शिक्षाधिकारी चतर सिंह चौहान कहते है कि उच्च प्राथमिक विद्यालय सर का मामला बहुत पुराना है। इसका तीन लाख का भुगतान हो चुका है और तीन लाख अभी जमा है। इस संबंध में उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।