सार्वजनिक उपयोग के लिए बनाई गई पानी की टंकियों पर नगर निगम ने दुकानदारों और बिल्डरों से रिश्वत खाकर कब्जे करा दिए।
भूपेंद्र कुमार
देहरादून निगम में अधिकारी कर्मचारी निगम की बेशकीमती जमीन को आंख मूंदकर अवैध अतिक्रमणकारियों के हवाले कर रहे हैं। निगम का भूमि तथा कर विभाग भू माफिया से मिला हुआ है
देहरादून नगर निगम अपनी बहुमूल्य संपत्तियों को खुद ही अपने हाथों गंवा रहा है। देहरादून नगर निगम क्षेत्र में छोटी-बड़ी 52 पानी की टंकियां थी। यह पानी की टंकियां बड़े रिजर्वायर के साथ बनी हुई थी। एक बिस्वा से लेकर 12 बिस्वा तक बनी पानी की टंकियों में से अधिकांश पर लोगों ने कजे कब्जे कर लिए हैं, किंतु नगर निगम मौन साधे बैठा है। इन टंकियों से आसपास के लोग पानी भरते थे तथा राहगीर अपनी प्यास बुझाते थे, किंतु समय के साथ-साथ पानी की टंकियों पर कब्जा करके किसी ने अपने ऑफिस बना लिए हैं तो किसी ने दुकानें बना ली हैं, किंतु नगर निगम के अधिकारियों ने इस अतिक्रमण पर आंखें मूंद रखी है।
इस संवाददाता ने पानी की टंकियों की हकीकत जानने के लिए सूचना के अधिकार का उपयोग करते हुए नगर निगम से सभी पानी की टंकियों की जानकारी मांग ली। प्राप्त जानकारी का भौतिक सत्यापन करने निकले तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। दरअसल सूचना के अधिकार में प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर निगम में 52 पानी की टंकियां है, किंतु इनमें से अधिकांश टंकियों का धरातल पर कोई अस्तित्व ही नहीं है। गढ़ी कैंट रोड पर सर्वे ऑफ इंडिया के सामने पानी की एक बड़ी टंकी हुआ करती थी। पानी की टंकी से आसपास के लोग पानी भरा करते थे, किंतु हाल ही में इस टंकी के पास हाउसिंग बना रहे माफिया की नजर इस पर टेढ़ी हो गई। हाउसिंग कॉम्पलेक्स के मालिक ने पानी की टंकी को कब्जा करके तोड़ दिया तथा टंकी के बाहर से अपनी बाउंड्री निर्मित कर दी। आसपास के लोगों ने इस पर जमकर एतराज जताया तथा निगम में शिकायत की तो दबाव में आकर नगर निगम ने बिल्डर की दीवार तोड़ दी तथा पानी के नल को बाउंड्री के बाहर लगवा दिया गया, किंतु टंकी की दो तिहाई भूमि अभी भी बिल्डर की बाउंड्री के अंदर ही है।
दरअसल नगर निगम द्वारा तोड़ी गई बाउंड्री बिल्डर ने दोबारा बना ली थी। इसके अलावा कचहरी परिसर के पास लगभग तीन बिस्वा में बनी पानी की टंकी का आज वहां पर नामोनिशान तक नहीं है। उस स्थान पर कुछ वकीलों ने अपने चेंबर बना लिए हैं, किंतु नगर निगम के अधिकारियों ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी।
मोती बाजार में भी १० बिस्वा भूमि पर पानी की एक बड़ी सी टंकी हुआ करती थी। लोग यहां पर आकर अपनी प्यास बुझाते थे, किंतु इस टंकी के बाहर सड़क की तरफ एक दुकानदार ने अपना कब्जा जमा लिया है तथा दो मंजिला दुकान निर्मित कर दी है, किंतु नगर निगम इनसे जी भर कर भाईचारा निभा रहा है।
नगर निगम के भूमि और कर विभाग के अधिकारी कर्मचारी रिकार्ड रूम से इन जमीनों के दस्तावेज गायब कर रहे हैं, ताकि कोई खोजबीन करे तो उसे वास्तविकता का पता न चल सके।