कानून का खेल या मिली भगत।
सावधान! सावधान !
आपके पुरखों के खून पसीने से कमाई गयी जमीन भी हो सकती है किसी और नाम
सूचना आयुक्त के आदेश भी रद्दी की टोकरी में
गिरीश गैरोला
आपके खून पसीने से कमाई गई जमीन अथवा पुरखों की पुश्तैनी जमीन पर आपकी जरा सी असावधानी आपको आपके इसके मालिकाना हक से बेदखल कर सकती है। ऐसा ही एक मामला उत्तरकाशी में देखने को मिला जहां कोटियाल गांव निवासी बिजेंद्र प्रसाद उनियाल की जमीन पर जब किसी अन्य व्यक्ति ने अपना भवन निर्माण शुरू कर दिया तो इस जमीन पर मालिकाना हक को लेकर मामला पटवारी तक पहुंचा और पटवारी ने नक्शा और अन्य दस्तावेज देखकर जिस व्यक्ति के नाम जमीन ट्रांसफर होना बताया सुनकर भूमिधर काश्तकार के पांव तले जमीन खिसकना लाजमी था। लिहाजा सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की मदद से लोक सूचना अधिकारी/ उप जिलाधिकारी उत्तरकाशी से सूचना चाही गई कि किस नियम के अंतर्गत उनकी जमीन को किसी अन्य के नाम दर्ज कर दिया गया पहले तो सूचना अधिकार के अनुरोध पत्र को यहां से वहां और वहां से फिर यहां दौड़ाया गया। प्रथम अपीलीय अधिकारी जिलाधिकारी उत्तरकाशी के आदेश में भी अनुरोध पत्र को अनावश्यक रूप से यहां वहां दौड़ाने के लिए जरूर सवाल खड़े किए गए किंतु भूमिधर किसान के जमीन को किसी अन्य के नाम करने के संबंध में कोई पुख्ता दस्तावेज नहीं दिया जा सका। इसके बाद सूचना आयुक्त देहरादून कार्यालय में द्वितीय अपील की गई ।राज्य सूचना आयुक्त सुरेंद्र सिंह रावत की अदालत में 10-08-2017 को अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया लोक सूचना अधिकारी द्वारा दी गई सूचनाएं त्रुटिपूर्ण है , और जो लैंड ट्रांसफर के जो दस्तावेज दिखाए गए हैं वह पर्याप्त नहीं है। लिहाजा जिलाधिकारी उत्तरकाशी को इस मामले में स्वयं कार्यवाही कर करने के निर्देश जारी हुए जो आज तक भी रद्दी की टोकरी में पड़े हुए हैं ।हालांकि तब से लेकर अब तक उप जिलाधिकारी भी बदल चुके हैं और जिलाधिकारी भी।
अनुरोध करता विजेंद्र प्रसाद उनियाल पुत्र स्वर्गीय लीलाधर निवासी कोठियाल गांव तहसील भटवाड़ी जनपद उत्तरकाशी द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 2 मार्च 2017 को तीन बिंदुओं पर सूचना मांगी गई जिसमें उनके द्वारा मौजा कोठियाल गांव (बड़ागड्डी ) तहसील भटवाड़ी के फसली वर्ष 1381 से 1386 तक के खतौनी खाता संख्या 43 के खसरा संख्या 579 ,883 , 884, 885, 8 87, 888, तथा 889 राजस्व अभिलेखों में तदनुसार मालिक भूमिधर के रूप में आवेदक के पिता लीला नंद पुत्र नाथूराम ग्राम कोटिया गांव के नाम श्रेणी 01 में दर्ज भूमिधर थे को किस विधिक प्रक्रिया अथवा नियम के तहत ग्राम कोठियाल गांव के श्री अमर सिंह पुत्र श्री भोपाल के नाम माल कागजात में दर्ज करने हेतु अमल दरामदगी की गयी का शासनादेश। मांगा गया।
अनुरोधकर्ता का पत्र लोक सूचना अधिकारी/ उप जिलाधिकारी पटवारी को दिनांक 27-03-2017 को प्राप्त हुआ । लोक सूचना अधिकारी/ उप जिलाधिकारी द्वारा धारा 6 (3) के अंतर्गत लोक सूचना अधिकारी तहसीलदार पटवारी को दिनांक 27 -03 -2017 को ही अंतरित कर दिया गया । लेकिन प्रभारी अधिकारी तहसीलदार भटवाड़ी द्वारा अनुरोध पत्र नायब तहसीलदार जोशियाड़ा को भेज दिया गया जबकि लोक सूचना अधिकारी /उप जिलाधिकारी द्वारा लोक सूचना अधिकारी तहसीलदार भटवाड़ी को पहले ही अनुरोध पत्र अंतरित किया जा चुका था।
नायब तहसीलदार जोशियाड़ा द्वारा लोक सूचना अधिकारी / राजस्व उपनिरीक्षक बोंगा को धारा 6(3) के अंतर्गत पत्र फिर से अनुरोध पत्र अंतरित कर दिया गया, जबकि सूचना का अनुरोध पत्र एक ही बार अंतरित किया जा सकता है।
अपीलीय अधिकारी / जिलाधिकारी उत्तरकाशी की अपील कोर्ट में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी तहसीलदार भटवाड़ी श्री आदित्य प्रसाद भट्ट , नायब तहसीलदार जोशियाड़ा श्री वीरेंद्र रावत, राजस्व निरीक्षक बोंगा श्री सुनील दत्त चमोली को सूचना अनुरोध पत्र को नियम विरुद्ध धारा 06(3) में अंतरित करने के लिए कठोर चेतावनी देते हुए उनके लापरवाही और गैर जिम्मेदारी वाले कार्य के लिए चेतावनी जारी की गई । इतना ही नहीं उक्त आदेश की एक-एक प्रति संबंधित अधिकारी /कर्मचारी के सर्विस बुक पर भी चस्पा करने के निर्देश दिए गए । किन्तु काश्तकार की भूमि किसी अन्य के नाम करने के दस्तावेज की प्रति फिर भी उपलब्ध नहीं हो सकी
और अनुरोध कर्ता को असंतुष्ट होने पर सूचना आयुक्त का पता उपलब्ध कराते हुए 90 दिनों के अंदर फिर अपील करने का सुझाव देते हुए अपीलीय पत्र निस्तारित मान लिया गया।
उत्तराखंड सूचना आयोग देहरादून द्वारा अपील संख्या 23948 / 2017 अपील अंतर्गत धारा 19 (3) के अंतर्गत दिनांक 10-08-2017 को अपने आदेश में प्रतिवादी लोक सूचना अधिकारी तहसीलदार भटवाड़ी उत्तरकाशी और विभागीय अपीलीय अधिकारी मुख्य विकास अधिकारी को दिए गए आदेश में कहा गया है कि कोठियाल गांव बडा गड्डी तहसील भटवाड़ी जिला उत्तरकाशी के फसली वर्ष 1381 से 1386 खतौनी खाता संख्या 430 के संबंधित खसरा संख्या राजस्व अभिलेखों में उनके पिता श्री लीला नंद पुत्र नाथू राम के स्थान पर अमर सिंह पुत्र भोपालू के नाम अभिलेख में दर्ज करने को लेकर दिनांक 5-5-2017 को अनुरोध कर्ता को जो सूचनाएं दी गई हैं वह त्रुटि पूर्ण है और नाम दर्जे करने को लेकर जिस अधिसूचना का उल्लेख किया गया है उसी अधिसूचना के प्रावधानों के अनुसार भूमि राज्य सरकार में निहित होनी चाहिए थी परंतु यह किसी अन्य व्यक्ति के नाम भूमि दर्ज की गई है । सूचना आयुक्त के आदेश में जिलाधिकारी उत्तरकाशी को मामले का स्वयं अध्ययन करने और अपीलार्थी को बुलाकर सुनने तथा दिखाया गया अभिलेखों में त्रुटि के लिए आवश्यक कार्यवाही अपने स्तर से करने के निर्देश दिए गए हैं।
तब से लेकर जिलाधिकारी और उप जिला अधिकारी स्थानांतरण पर अन्यत्र चले गए हैं और लोक सूचना अधिकारी से लेकर सूचना आयुक्त तक की फाइल आकर में मोटी होते हुए भी किसी सरकारी कार्यालय के गठरी में बंद ही धूल धूसरित हो कार्यवाही का इंतजार कर रही है। वही काश्तकार भूमिधर को भी समझ नही आ रहा है कि अब वो कहां अपील करे। जब कागजी घोड़े तो पूरे दौड़े पर फिर भी गोल गोल घूमते घूमते फिर वही खड़े है जहाँ से दौड़ना शुरू किया था । विज्ञान भी तो यही कहता है कि दूरी तो गोले की परिधि के बराबर चली पर विस्थापन फिर भी शून्य ही है।