भारतीय जनता पार्टी दूसरी पार्टी के सांसदों, विधायकों के बाद अब नगरपालिका अध्यक्षों व ग्राम प्रधानों को भाजपा में शामिल कर कांग्रेसमुक्त भारत के अभियान को आगे बढ़ाने जा रही है।
चुनाव आयोग द्वारा भले ही अभी निकाय चुनाव के लिए तारीख और आरक्षण की स्थिति की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, किंतु डबल इंजन सरकार ने अपने अनुसार गोटियां बिठानी शुरू कर दी है। आज 31 मार्च 2018 को पौड़ी के विधायक मुकेश कोली, पौड़ी के नगरपालिका अध्यक्ष और पूर्व विधायक यशपाल बेनाम को लेकर उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत क निवास पर पहुंचे और उन्होंने मंत्री से बेनाम को तत्काल भारतीय जनता पार्टी में शामिल करने का यह कहते हुए अनुरोध किया कि सिर्फ यशपाल बेनाम ही एकमात्र व्यक्ति हैं जो पौड़ी नगरपालिका को जीत भी सकते हैं और जिता भी सकते हैं, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के पास वहां लड़ाने के लिए एक भी जिताऊ चेहरा नहीं है।
पूर्व तैयारी के रूप में यशपाल बेनाम ने अपनी शिक्षिका पत्नी उषा रावत से इस्तीफा भी दिलवा दिया है। रणनीति यह है कि यदि पौड़ी नगर पालिका की सीट महिला के लिए आरक्षित होती है तो बेनाम अपनी पत्नी को निकाय चुनाव में उतार सकें। यूं तो उषा रावत का इस्तीफा मंजूर होने के बाद वह चुनाव लड़ सकती हैं लेकिन गौरतलब है कि इस्तीफे पर पुनर्विचार के लिए 3 माह का समय दिया जाता है। इन्हीं 3 माह के अंदर यदि नगर पालिका की सीट महिला न होकर सामान्य हो जाती है तो उनके पास इस्तीफा वापस लेने का विकल्प भी सुरक्षित रहेगा। ऐसी स्थिति में यशपाल बेनाम खुद ही चुनाव मैदान में उतरेंगे।
इससे पहले मुकेश कोली यशपाल बेनाम को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट व तमाम लोगों से भी मिल लिए हैं। मुकेश कोली का कहना है कि यशपाल बेनाम की अब भाजपा में शामिल होने की मात्र औपचारिकता बाकी है। 6 अप्रैल को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पौड़ी जनपद के भ्रमण कार्यक्रम के दिन उन्हें विधिवत रूप से भारतीय जनता पार्टी में शामिल कर दिया जाएगा। इसके बाद यशपाल बेनाम अजय भट्ट के साथ नीलकंठ महादेव के लिए निकले, किंतु रास्ते में उनका वाहन खराब हो गया और अजय भट्ट आगे निकल गए।
मुकेश कोली की बातों से यह साफ हो गया है कि पौड़ी नगरपालिका की सीट इस बार भी सामान्य रहेगी। बेनाम और भाजपा के बीच कई बार प्यार और कई बार तकरार हो चुकी है। यशपाल बेनाम एकमात्र ऐसे विधायक रहेे, जिन्होंने 2007 में बिना किसी शर्त के भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए समर्थन दिया। पांच वर्ष तक बेनाम ने न तो मंत्री पद की मांग की, न कोई और पद मांगा। 2012 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा का टिकट तीरथ सिंह रावत को दे दिया, जो बाद में बेनाम को हराकर विधायक भी बन गए। इसके बाद हुए निकाय चुनाव में यशपाल बेनाम एक बार फिर निर्दलीय पौड़ी नगरपालिका से लड़े और जीतने में सफल रहे। प्रदेश में तब कांग्रेस की सरकार थी।
2017 के विधानसभा चुनाव के बाद प्रचंड बहुमत की डबल इंजन की सरकार बनी तो डबल इंजन की सरकार ने बेनाम पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाते हुए उनके वित्तीय अधिकार सीज कर दिए, किंतु अब चुनाव सिर पर आते ही डबल इंजन को एक बार फिर बेनाम की याद आ गई कि संकट की इस घड़ी में बेनाम ही पौड़ी में कमल खिला सकते हैं।
देखना है कि भारतीय जनता पार्टी अब 2007 की सरकार के संकटमोचक रहे बेनाम को विधिवत रूप से भाजपा में शामिल कर निकाय चुनाव की आखिरी तैयारी को अंजाम देती है। जिस तेजी से तमाम दलों से अब प्रत्याशी इकट्ठे किए जा रहे हैं, उससे इस बात की भी पूरी संभावना है कि निकाय चुनाव में पार्षदों से लेकर नगर निगमों, नगरपालिकाओं, नगर पंचायतों में भी भारतीय जनता पार्टी दूसरे दलों से लाकर जिताऊ प्रत्याशियों को मैदान में उतारेगी।