कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड में पत्रकारों के साथ हो रहे उत्पीड़न पर पुलिस भी कानून की अनदेखी कर रही है।
अल्मोड़ा जिला पुलिस ने ‘शराब तस्करी को पुलिसिया शह’ देने पर लिखी गई एक खबर से नाराज होकर पत्रकार कपिल मल्होत्रा को डराने धमकाने का प्रयास किया है। एस.एस.पी.प्रहलाद नारायण मीणा ने उन्हें बुलाकर धमकाया और गैर कानूनी रूप से उनका मोबाइल और न्यूज़ का कैमरा जप्त कर लिया।
पत्रकारों ने इसकी शिकायत गृह मंत्रालय को भेज दी है।
अल्मोड़ा के पत्रकारों ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में एस.एस.पी.के अभद्र व्यवहार का ब्यौरा दिया है और न्याय दिलाने की मांग की है। साथ ही आरोप लगाया कि अल्मोड़ा के आला पुलिस अधिकारी ने इस पत्रकार को वैब पोर्टल में लिखी खबर के आधार पर मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी है। इससे बड़ी दुखद खबर ये है कि इस दमनकारी कार्य में हमारे पत्रकार भाई ही विभीषण की भूमिका निभा रहे हैं।
पिछले दिनों दोनों पक्षों के बीच वार्ता तो हुई लेकिन, पुलिस की कार्यशैली में सुधार की जगह उसने पत्रकारों से माफीनामा, खण्डन छापने और पुलिस के सूत्र बताने के लिए दबाव दिया है। पीड़ित पत्रकार के अनुसार 19 मार्च को खबर फ़्लैश होने के बाद 22 मार्च को उन्हें एस.एस.पी.अल्मोड़ा ने बुलाया। एस.एस.पी.ने पहले उन्हें खबर लिखने का आधार पूछा और फिर बुरी तरह से डराया धमकाया।
बीती 24 मार्च को चुनाव आयोग को दिए एक पत्र में अल्मोड़ा के समस्त पत्रकारों ने कहा है कि एस.एस.पी.प्रहलाद नारायण मीणा ने उन्हें बुलाकर धमकाया और गैर कानूनी रूप से उनका मोबाइल और न्यूज़ का कैमरा जप्त कर लिया। उन्होंने लिखा है कि एस.एस.पी.ने उन्हें खंडन छापने, सूत्र बताने और जबरन माफीनामा लिखाया। इतना ही नहीं एस.एस.पी.ने अपने अधीनस्थों से इस माफीनामे को अलग अलग ग्रुपों में वायरल कर पत्रकारों को बदनाम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। एस.एस.पी.ने पीड़ित पत्रकार के साथ ही दूसरे पत्रकारों को भी संभलकर खबर लिखने की हिदायत दी है। पत्रकार पी.सी.तिवाड़ी, नवीन बिष्ट, प्रकाश पाण्डे, अनिल संनवाल, अमित उप्रेती, निर्मल उप्रेती, प्रमोद जोशी आदि कुुुल 23 पत्रकारों के हस्ताक्षर युक्त पत्र मुख्यमंत्री, राज्यपाल, ग्रह मंत्रालय, डी.जी.पी.आदि को भेजा गया है।
राज्यभर में पत्रकारों के खिलाफ उठाए जा रहे कदम काफी घातक सिद्ध हो सकते हैं। इससे पहले भी हाल ही में हल्द्वानी और रामनगर में पत्रकारों को दबाने का प्रयास हो चुका है। लोकतंत्र को कुचलने के इस कदम के विरोध में प्रदेशभर के पत्रकार एकजुट होने लगे हैं । पत्रकार संगठनों का कहना है कि “हम सबको उत्पीड़न का मिलकर विरोध करना चाहिए नहीं तो, आज ‘वो’ और कल ‘आप’ भी शिकार हो सकते हैं।”