पिथौरागढ़ जिले के सल्ला चिंगरी क्षेत्र में कई गांव की छात्राएं मासिक धर्म के दौरान सिर्फ इसलिए स्कूल नहीं जा पाती क्योंकि उनके स्कूल के रास्ते में एक लोक देवता का मंदिर पड़ता है। गांव वालों को माहवारी के दौरान इस मंदिर से होकर गुजरने से अनिष्ट की आशंका रहती है।
पिछले दिनों महिला एक्टिविस्ट उमा भट्ट ने एक पद यात्रा के दौरान जब इस विषय पर क्षेत्र में बात की और इसकी रिपोर्ट शिक्षा विभाग को दी तब जाकर क्षेत्रीय शिक्षा अधिकारी ने मामले का हल निकालने के लिए चर्चा की।
हालत यह है कि महिला सशक्तिकरण मंत्री रेखा आर्य और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे भी बालिकाओं की पढ़ाई इस कारण बाधित होने को लेकर कोई बीच का रास्ता निकालने की बात करते हैं।
एक ओर केरल में सबरीमाला मंदिर में माहवारी के दौरान प्रवेश न करने को लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अपनी सहमति जता चुकी हैं, वही उत्तराखंड की महिला कल्याण राज्यमंत्री रेखा आर्य भी हिंदू धर्म में माहवारी के दौरान मंदिरों में जाना वर्जित मानती हैं। किंतु वह इतना जरूर जोड़ती हैं कि इन दिनों स्कूल जाने में पाबंदी नहीं है।
जाहिर है कि इस विषय पर सरकार भी कोई सख्ती करने के मूड में नहीं है।
सरकार के पास दो ही विकल्प हैं, या तो लोगों की सोच बदले या फिर स्कूल जाने का रास्ता ही बदल ले।
बहरहाल दोनों मंत्री गण रास्ता और सोच दोनों बदलने की जरूरत बताते हैं।
राज्य बनने के 18 साल बाद भी ऐसी समस्याओं के प्रति शिक्षा तथा महिला कल्याण विभाग का लचर रवैया वाकई अफसोस जनक है देखना यह है कि इस क्षेत्र की छात्राएं और कब तक माहवारी के दौरान घर में दुबकने को मजबूर रहती हैं।