मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने मैठाणी की मांग को लिया संज्ञान में , आवश्यक कार्रवाई हेतु सामान्य प्रशासन को भेजा पत्र ।
समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी पारस वर्ष 2008 से कर रहे हैं लगातार प्रयास ।
रंगोली मुहीम के तहत हर साल देहरादून में आम से लेकर खास लोगों की देहरी पर बरसाते हैं नौनिहाल फूल । प्रकृति से जुड़ा सामाजिक, सांस्कृतिक, एवं लोक-पारंपरिक त्योहार जो एक अनूठी पर्वतीय संस्कृति की त्रिवेणी ‘फूल-फूल माई’ / ‘फूल देई’ त्योहार है , के संरक्षण व संबर्धन मे रंगोली आन्दोलन की एक मुहीम के तहत बीते 2008 से लगातार प्रयास किये जा रहे हैं । जिसके क्रम में हर वर्ष रंगोली आंदोलन एक रचनात्मक मुहीम के संस्थापक समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी पारस द्वारा उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून में महामहीम राज्यपाल व मुख्यमंत्री के द्वार से हर वर्ष फूलदेई पर्व को मनाने की जोरदार रचनात्मक की शुरुआत की है । जिसकी विभिन्न संगठनों द्वारा प्रशंसा भी की गई है ।
समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी पारस वर्ष 2008 से कर रहे हैं लगातार प्रयास ।
रंगोली मुहीम के तहत हर साल देहरादून में आम से लेकर खास लोगों की देहरी पर बरसाते हैं नौनिहाल फूल । प्रकृति से जुड़ा सामाजिक, सांस्कृतिक, एवं लोक-पारंपरिक त्योहार जो एक अनूठी पर्वतीय संस्कृति की त्रिवेणी ‘फूल-फूल माई’ / ‘फूल देई’ त्योहार है , के संरक्षण व संबर्धन मे रंगोली आन्दोलन की एक मुहीम के तहत बीते 2008 से लगातार प्रयास किये जा रहे हैं । जिसके क्रम में हर वर्ष रंगोली आंदोलन एक रचनात्मक मुहीम के संस्थापक समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी पारस द्वारा उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून में महामहीम राज्यपाल व मुख्यमंत्री के द्वार से हर वर्ष फूलदेई पर्व को मनाने की जोरदार रचनात्मक की शुरुआत की है । जिसकी विभिन्न संगठनों द्वारा प्रशंसा भी की गई है ।
समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी पारस का कहना है कि 6 साल पहले उन्होंने फूलदेई पर्व को एकदम परम्परागत तरीके से मनाने का शुभारंभ राज्यपाल और मुख्यमंत्री के द्वार से शुरू किया उसके बाद आम लोगों के घर घर बच्चों की टोली को वह साथ लेकर गए शुरू- शुरू में लोगों समझ नहीं आया लेकिन अब हर साल कई स्कूल उन्हें पहले ही आग्रह कर लेते हैं कि इस बार उनके स्कूल को भी इस अभियान में शामिल किया जाय । और आज 22 से ज्यादा स्कूलों के बच्चों की टोली फूलदेई के पर्व को मनाने लगे हैं ।
शशि भूषण ने बताया कि अब मुझे इस अभियान में सरकार का सहयोग जरूरी है । सबसे पहले तो राज्य सरकार उक्त दिवस पर संस्कृति पर्व को मनाने के लिए स्कूलों में नौनिहालों के लिए अवकाश की घोषणा करें इससे एक साथ इस बाल पर्व के प्रति बच्चों में उत्सुकता पैदा होगी और हासिए पर गए फूलदेई का पर्व पुनः एक नए उत्साह के साथ बृहद स्तर पर मनाया जाने लगेगा ।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने लिया संज्ञान :
शशि भूषण हर वर्ष राज्यपाल व मुख्यमंत्री को उक्त पर्व पर अवकाश घोषित करने के संदर्भ में पत्र देते आए हैं लेकिन किसी ने भी संज्ञान नहीं लिया । परन्तु यह पहला मौका है कि जब किसी मुख्यमंत्री ने इस मांग पर गौर किया है । बताते चलें कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने शशि भूषण की मांग फूलदेई पर्व पर स्कूलों में अवकाश घोषित करने के सम्बंध में आवश्यक कार्रवाई हेतु सामान्य प्रशासन विभाग उत्तराखंड शासन को पत्र भेजा है और उक्त संदर्भित सूचना रंगोली आंदोलन के संस्थापक शशि भूषण मैठाणी को भी पत्र के मार्फ़त भेजी है । शशि भूषण ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि अब हमारी मुहिम रंग लाने लगी है । और आने वाले दिनों में बच्चे बढ़-चढ़कर उत्साहपूर्वक फूलदेई पर्व को मनाने लगेंगे जिसकी ख्याति देश विदेश तक फैलेगी । यहां पाठकों बताना चाहेंगे कि शशि भूषण मैठाणी द्वारा गुजरात प्रान्त में भी गुजराती समाज के लोगों के सहयोग से फूलदेई पर्व मनाने की शुरुआत की जा चुकी है ।
फूलदेई – फूल फूल माई पर्व की खूबसूरती :
फूल-फूल माई / फूल देई त्यौहार मानव व प्रकृति के पारस्परिक संबंधों का ऋतु पर्व है । इस अवसर पर नन्हें मुन्हे बच्चे प्रात: घर-घर जाकर द्वारों (देहरियों) पर फूल बिखेरते हैं और धनधान्य समृद्धि की कामना वन देवता, वन देवी व प्रकृति से करते हैं ।
पलायन के कारण तेजी से लुप्त हो रहा यह बाल पर्व त्यौहार वर्तमान परिप्रेक्ष्य (ग्लोबल, वार्मिंग, बढ़ता प्रदूषण, गंगा रक्षा आदि) में प्रभावी संदेश दे सकता है ।