गिरीश गैरोला,उत्तरकाशी//
हर वर्ष मानसून से पहले आती है याद और मानसून के जाते ही भुला दिया जाता है वरुणवात उपचार
विगत तीन वर्षों से चल रहा संवेदनशील होने का ड्रामा
उत्तरकाशी के वरुणावत पर्वत का वर्ष 2003 में करोड़ों रु. से उपचार हुआ, किन्तु तांबाखानी नाले का उपचार आज तक नहीं हो पाया। मीडिया मे तांबाखानी नाले की तरफ से पहाड़ी के दरकने की खबर चलने के बाद से हर वर्ष मानसून आने के समय पर इस नाले के लिए संवेदनशीलता जताते हुए तात्कालिक उपचार के बाद स्थायी उपचार का तीन वर्षों से भरोसा ही दिलाया जा रहा है, किंतु बरसात गुजरने के बाद हर वर्ष फिर से वरुणावत को भुला दिया जाता है।
डीएम आशीष कुमार की माने तो इस वर्ष टीएसी हो चुकी है। लिहाजा आने वाले मानसून से पहले वरुणावत पर्वत के तांबाखानी नाले का उपचार हो जाएगा। वहीं लोक
निर्माण विभाग के अधिकारियों ने अभी तक डीपीआर नहीं देखी है। अब उपचार में क्या-क्या होना है, इसको डीपीआर देखकर बताएंगे। इसके लिए वे दलील देते हैं कि वरुणवात में टीएचडीसी को कोंसल्टेंट बनाया गया है। पहाड़ी के उपचार के लिए यही संवेदन्शीलता रही तो उपचार होने तक दो तीन और मानसून और गुजर सकते हैं।
वरुणवात पर्वत के उपचार और नगर को व्यवस्थित करने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार से 282 करोड़ रु. मिले थे, जिसमें पूरी उत्तरकाशी नगरी फिर से बसाई जा सकती थी, जबकि पर्याप्त बजट के बाद भी तांबाखानी नाले की उपेक्षा की गयी, जो अब शहर के लिए नासूर बन चुका है। विगत तीन वर्ष पूर्व तांबाखानी की तरफ से नाले ने दरकना शुरू किया तो पूरे शहर में दहशत फैल गई। आपदा विभाग का एक बड़ा लाव-लश्कर पर्वत पर पहुंचा और इसके स्थायी उपचार होने तक तात्कालिक उपचार के लिए यहां से पानी के निकास के लिए दो बड़े पाइपे डाल दिए गए और वर्षा के कटाव रोकने के लिए तिरपाल बिछा दिया गया। बरसात के बाद नगरवासी बड़ी उत्सुकता से उपचार की उम्मीद करते रहे, लेकिन इसे भुला दिया गया, इस बीच फिर से मानसून आ गया और सरकार की चिंता फिर से पहाड़ी के टॉप पर दिखी और फिर से तात्कालिक उपचार के बाद स्थायी उपचार का भरोसा और तब से ये सिलसिला आज तक जारी है, किंतु आज भो पहाड़ी तांबाखानी नाले में उपचार का इंतजार कर रही है।
वर्ष 2003 से वरुणावत की लड़ाई लड़ते आ रहे जिला व्यापार मंडल के जिला अध्यक्ष सुभाष बडोनी स्थायी उपचार पर लेटलतीफी को लेकर नाराजगी जताते हैं।
डीएम डा. आशीष कुमार के अनुसार उपचार के लिए 6.67 करोड़ की टीएसी हो चुकी है और इस वर्ष अगला मानसून आने से पूर्व नाले का स्थायी उपचार कर लिया जाएगा।