पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने हरिद्वार और हल्द्वानी से चुनाव रैलियों का आगाज किया। अमित शाह ने अपने भाषणों में कांग्रेस के भ्रष्टाचार को मुख्य विषय बनाया। किंतु यह क्या! शाह ने कांग्रेस के जितने घोटाले गिनाए, उनसे भाजपा में मुख्यमंत्री पद के दो दावेदार सकते में आ गए। उधर शाह घोटाले गिना रहे थे, उधर दोनों दावेदार पसीना पोंछ रहे थे। दरअसल भाजपा में कई दिग्गज ऐसे हैं, जो नई-नवेली गृहप्रवेश करने वाली बागियों की बारात को पचा नहीं पा रहे हैं। साथ ही एक पुराने खिलाड़ी का खेल भी बिगाडऩा चाह रहे हैं। बागियों के भाजपा में आने के बाद मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की बढ़ती फौज और अमित शाह के भाषण ने फिलहाल दावेदारों की पेशानी पर बल जरूर डाल दिए हैं।
मेयर की दाढ़ी
हरिद्वार के मेयर व उत्तराखंड मेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज गर्ग की दाढ़ी आखिर दो महीने बाद कट तो गई, लेकिन दाढ़ी कटने का वह जश्न नहीं मनाया जा सका, जिसकी उम्मीद थी।
मेयर ने अपनी मांगों को लेकर दो माह पूर्व दाढ़ी छोड़ दी थी और संकल्प लिया था कि दाढ़ी अब तभी कटेगी, जब मुख्यमंत्री उनकी मांगों को पूरा कर देंगें। ये संकल्प लेते वक्त मेयर को उम्मीद रही होगी कि शायद दो-चार दिन में हीं उनका ‘दाढ़ी-सत्याग्रहÓ असर कर जाएगा, लेकिन मुख्यमंत्री पूरे दो महीने तक मेयर की दाढ़ी को लेकर बेपरवाह बने रहे। इसी दौरान मेयर के राजनीतिक गुरु मदन कौशिक ने घोषणा कर दी कि अब मेयर की दाढ़ी प्रदेश सरकार के पतन के बाद ही कटेगी, लेकिन इधर दो महीने में ही मेयर की बढ़ती दाढ़ी में भयंकर खुजली शुरू हो गई। खुजली जब असहनीय हो गई तो मेयर ने गुरु का आदेश एक तरफ रख आनन-फानन में झटके से दाढ़ी कटा मारी।
हरिद्वार की जनता व मेयर के प्रसंशकों को उम्मीद थी कि मेयर की दाढ़ी सरकार से कुछ न कुछ जरूर लेकर आएगी। फिर वह धूमधाम से मेयर की दाढ़ी कटने का जश्न मनाएंगे, लेकिन बेवक्तकटी मेयर की दाढ़ी के साथ ही उनके प्रशंसकों की उम्मीदें भी धराशायी हो गई।
निर्दलीय जीतने का फायदा!
बद्रीनाथ से विधायक चुनकर आए राजेंद्र सिंह भंडारी मंत्री बनने के बाद भी कुछ खास नजर नहीं आए। भंडारी को कुरेदा तो कहने लगे- अब जाकर मंत्री की कुर्सी मिल भी गई तो उससे क्या होने वाला। २००७ में निर्दलीय जीतकर आया था तो कैबिनेट मंत्री बना। २०१२ में कांग्रेस के टिकट पर लड़ा तो पार्टी ने मंत्री नहीं बनाया। मैंने तो अपने दम पर अपनी विधानसभा मजबूत कर ली है। अब चाहे मोदी भी मेरे खिलाफ चुनाव लड़ लें, उसे भी हरा दूंगा। फोनिया की तो मैंने जमानत जब्त करा दी थी। उसका लड़का लड़ेगा तो उसकी भी कर दूंगा। गलती मुझसे ये हुई कि मैंने कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ा। निर्दलीय लड़ता तो कांग्रेस को हर हाल में मुझे मंत्री बनाना पड़ता। चुनाव नजदीक आ गए हैं। मुझे किसी पार्टी के कैडर की कोई जरूरत नहीं। निर्दलीय जीतकर आऊंगा तो फिर से मंत्री बनने की संभावना सबसे ज्यादा रहेगी।