वेतन विसंगति को दूर करने के लिए बनाई गई समिति ने सचिवालय सेवा संवर्ग का ग्रेड वेतन पे कम करने का फैसला क्या लिया, यह सरकार के गले की हड्डी बन गई है। इस निर्णय के बाद एक तरह से सरकार ने बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया है।
सचिवालय संघ ने फिलहाल अपनी हड़ताल स्थगित तो कर दी है लेकिन वेतनमान को कम करने के निर्णय को तुगलकी फरमान बताते हुए न सिर्फ इस निर्णय को वापस लेने के लिए सरकार पर पूरा दबाव बना दिया है बल्कि लगे हाथ वर्षो से लंबित पड़ी हुई विभिन्न मांगों से संबंधित 21 सूत्रीय मांग पत्र भी सरकार को थमा दिया है।
यह मांग पत्र एक तरीके से वित्तीय बोझ का रोना रो रही सरकार के लिए हाथों में जलते हुए अंगार पकड़ने की तरह है अगर छूटती है तो आंदोलन से गुजरना पड़ेगा और पकड़ती है तो अपने लिए हुए निर्णय से चार कदम पीछे हटने वाली बात हो जाएगी। 7 तारीख को सचिवालय संघ के बैनर तले समीक्षा अधिकारी संघ सहित वाहन चालक संघ और अन्य घटक संघ भी आ गए थे ।
यही नहीं आज दोपहर दिन में 1:30 बजे तक राजभवन सचिवालय के अधिकारियों ने भी सचिवालय संघ को अपना समर्थन पत्र सौंप दिया था।
आंदोलन को उग्र होते देख आनन-फानन में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय संघ को वार्ता के लिए बुलाया।
वार्ता में सचिवालय संघ ने न सिर्फ वेतन ग्रेड को कम करने के निर्णय को वापस लेने के लिए मांग की बल्कि साथ ही 21 मांगों का पत्र भी थमा दिया।
मुख्यमंत्री से वार्ता कर उत्साहित मुद्रा में लौटे सचिवालय संघ ने तत्काल मुख्य सचिव को 21 बिंदुओं के मांग पत्र पर निर्णय लेने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दे डाला।
सरकार के लिए अब अपना निर्णय ना उगलते बन रहा है और न निगलते यदि सरकार दबाव में निर्णय को वापस लेती है तो सरकार को वेतन विसंगतियों के विभिन्न विरोध-प्रदर्शनों का सामना करना पड़ सकता है । वेतन विसंगति से जूझ रहे विभिन्न विभाग भी अपनी मांगों को मनवाने के लिए उग्र हो सकते हैं।
सचिवालय संघ ने जो मुख्य मांगें सरकार के सामने रखी है उसमें सबसे प्रमुख मांग किया है कि वेतन ग्रेड को कम करने के निर्णय को तत्काल वापस लिया जाए, कंप्यूटर सहायकों को सहायक समीक्षा अधिकारी के पदों पर पदोन्नत किया जाए ,तथा क्लास फोर्थ के मृत संवर्ग को पुनर्जीवित किया जाए ।साथ ही कर्मचारियों को वर्दी भत्ता भी दिया जाए।
इसके साथ ही सचिवालय संघ ने अपने मांग पत्र में यह भी मांग की है कि शासकीय सेवाओं में काम करने वाले पति-पत्नियों को समान रुप से उत्तर प्रदेश की भांति किराया भत्ता दिया जाए तथा सचिवालय सेवा के अधिकारियों के लिए बने आवासीय भवनों का 75% किस्सा सचिवालय सेवा के अधिकारियों को ही आवंटित किया जाए।
सचिवालय संघ ने अपने पूरे मांगपत्र में सभी सेवाओं संवर्गों के अधिकारी कर्मचारियों की लंबित पड़ी मांगों को भी शामिल कर दिया है ।
इससे सभी घटक संघ सचिवालय संघ के समर्थन में आ खड़े हुए हैं ।
अब देखना यह है कि सिर्फ 15 दिन के लिए स्थगित की गई इस हड़ताल का सरकार समय रहते क्या समाधान निकालती है ! फिलहाल तो वित्त विभाग और सचिवालय संघ की आपस में टकरा हट की स्थिति इतनी अधिक हो गई है कि इस बात की प्रबल संभावना है कि 15 दिन बाद सचिवालय संघ फिर से हड़ताल पर उतारु हो जायेगा। देखना यह है कि मुख्यमंत्री इस संबंध में क्या निर्देश देते हैं!!