नगर निगम कोटद्वार में मेयर के पद के लिए भाजपा और कांग्रेस के दोनों प्रत्याशियों पर नामांकन निरस्त होने की तलवार लटक गई है।
नगर निगम के रिकॉर्ड के अनुसार भाजपा और कांग्रेस के दोनों प्रत्याशियों ने नगर निगम की जमीनों पर कब्जा किया हुआ है। उत्तराखंड म्युनिसिपल एक्ट कहता है कि यदि किसी व्यक्ति अथवा उसके पारिवारिक रिश्तेदार के द्वारा नगर निकाय की भूमि पर अतिक्रमण पाया जाता है तो वह नगर निगम के अध्यक्ष पद के लिए अयोग्य है।
बाकायदा सूचना के अधिकार में दो आरटीआई एक्टिविस्ट में इस तथ्य हासिल करके पर्वतजन को साझा किया है।
पर्वतजन ने जब राम जी शरण शर्मा से इस विषय में बात की तो रामजी शरण शर्मा ने भी कहा कि 25 और 26 को नामांकन पत्रों की जांच होगी तथा स्क्रुटनी में यदि ऐसा कोई तथ्य पाया जाता है तो उनका नामांकन निरस्त किया जाएगा।
क्या कहता है एक्ट !
रामजी शरण शर्मा ने बताया कि नगर पालिका की भूमि पर इन दोनों दावेदारों के द्वारा कब्जा किए जाने की बात उनके संज्ञान में है।
इस मामले में सबसे गंभीर सवाल तो नगर निगम भर्ती खड़े होते हैं। आखिर जब नगर निगम ₹200 बकाया होने पर भी ‘नो ड्यूज’ सर्टिफिकेट जारी नहीं करता है तो फिर ऐसे में कब्जे धारियों को ‘नो ड्यूज’ सर्टिफिकेट कैसे जारी हो गया !
ऐसे खुला मामला
सूचना अधिकार कार्यकर्ता उम्मेद सिंह रावत को पूर्व में नगर पालिका कोटद्वार ने अतिक्रमणकारियों की जो सूची भेजी थी, उसमें दिलीप महंत पुत्र श्री भारत सिंह रावत मुख्य हैं। उस लिस्ट मे हरीश खर्कवाल और भुवनेश खर्कवाल के नाम भी हैं, जिसमे खर्कवाल की श्रीमती भाजपा से पार्षद प्रत्याशी हैं।
ऐसे ही मुजीब नैथानी की अपील एवम् शिकायत पर सूचना आयोग के निर्देश पर राष्ट्रीय राजमार्ग में हेमलता नेगी का अतिक्रमण पाया गया है।
ऐसे अन्य अतिक्रमण भी पाए जा सकते हैं। अपने राजनैतिक रसूख के कारण आम जनता को लग रहा है कि निर्वाचन अधिकारी इनके निर्वाचन को रद्द नहीं करेंगे। संभवतः कोई ना कोई बहाना बना देंगे। ऐसे में सवाल यह भी है कि निगम द्वारा ही अनापत्ति क्यों दी गई ! ज्ञात हो कि निगम केवल भुगतान नहीं की ‘नो ड्यूज’ की प्रति दे रहा है।
ऐसे में निगम की भूमिका पर भी गम्भीर सवाल है।