निशंक-मायावती का खौफ, या अपनों से ही डर गए हरीश?
गंगा में डुबकी लगाने से डरे और नैनीताल से ताल ठोकने को तैयार
हरीश धामी ने कहा हरीश रावत को नैनीताल से टिकट नहीं मिला तो दूंगा इस्तीफा
देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत हरिद्वार से चुनाव नहीं लड़ना चाहते। सोशल मीडिया से लेकर आम मीडिया में इस बात को लेकर चर्चाएं गर्म है कि आखिर क्या वजह है कि हरीश रावत का हरिद्वार से मोह भंग हो गया है। गंगा और गन्ना की बात करने वाले हरीश रावत आखिर गंगा में डुबकी लगाने से इस बार क्यों डर रहे हैं।
इस बार हरीश रावत को गंगा नहीं बल्कि नैनीताल की ताल ज्यादा भा रहे हैं। हरीश रावत जैसे दिग्गज नेता के हरिद्वार का रण छोड़ नैनीताल भागने की खबर सोशल मीडिया में आने से कांग्रेसी कार्यकर्ता बेचैन दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को जवाब नहीं सूझ रहा है कि आखिर हरीश रावत जैसे दिग्गज नेता जो गंगा और गन्ना किसानों की बात करता है वह कैसे हरिद्वार को छोड़ नैनीताल से टिकट की गुहार लगा रहे हैं।
सोशल मीडिया में हरीश रावत के हरिद्वार छोड़ने पर खूब बहस हो रही है। तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं कि क्या हरीश रावत निशंक और मायावती से डर गए हैं या फिर उन्हें अपनों से डर सता रहा है वही अपने जो हरीश रावत को बाहरी बाहरी कह रहे हैं।
हरीश रावत हरिद्वार में हथियार डालते हुए नजर आ रहे हैं। इस बात का सबूत है, उनके करीब विधायक हरीश धामी का बयान जिसमें वह कह रहे हैं कि अगर हरीश रावत को नैनीताल से टिकट नहीं मिला तो वह विधायकी से इस्तीफा दे देंगे।
हरीश रावत के समर्थन में खुलकर आए धारचूला से कांग्रेसी विधायक हरीश धामी। हरीश धामी ने कहा अगर हरीश रावत को नहीं देती है पार्टी नैनीताल से लोकसभा का टिकटतो वे विधायिका से इस्तीफा दे देंगे। और नैनीताल से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।
आपको बता दें पहले भी हरीश रावत को उपचुनाव लड़ाने के लिए अपनी धारचूला सीट छोड़ चुके हैं हरीश धामी।
लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका हैं। ऐसे में हर कोई 2019 का रण जितने के लिए हर दांव-पेच पर कार्य कर रहा है। उत्तराखंड में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। भारतीय जनता पार्टी में जहां टिकट को लेकर मारामारी है तो वहीं इसके उलट कांग्रेसमें टिकट को लेकर नेताओं का अकाल नजर आ रहा है। खुलकर कोई भी नेता चुनाव में दावेदारी करता हुआ नजर नहीं आ रहा है। जिन नेताओं को दावेदार समझा जा रहा था वह भी किनारा करते हुए नजर आ रहे हैं।
हरीश रावत के हरिद्वार से चुनाव न लड़ने के पीछे एक बड़ी वजह समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन भी है । इस गठबंधन के कारण हरिद्वार की सीट पर नए समीकरण बनकर तैयार हो गए हैं । अब यह सीट उतनी आसान नहीं रही जितनी कांग्रेस के लिए पहले हुआ करती थी।
हरीश रावत का खेल कुछ दिनों पहले प्रियंका गांधी की वजह से भी बिगड़ा। जब यूपी का किला फ़तेह करने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी हॉस्पिटल में भीम आर्मी के चन्द्रशेखर रावण से मिलने पहुँची। माना जा रहा है कि प्रियंका ने बसपा गठबंधन से कांग्रेस को किनारे करने से दलित वोट में सेंध लगाने के लिए रावण से हाथ मिलाया।
हाथ मिलने का असर इतना खतरनाक हुआ कि बसपा सुप्रीमो ने अमेठी और रायबरेली में प्रत्याशी उतारने के संकेत दिए हैं।
ऐसे में माया की नाराजगी कांग्रेस के लिए उत्तराखण्ड में भी भारी पड़ सकती है। उत्तराखण्ड की कई सीटों पर समीकरण बिगड़ सकते हैं। सबसे बड़ा खतरा दलित बाहुल्य हरिद्वार सीट पर कांग्रेस को हो सकता है। हरिद्वार से तैयारी कर रहे हरीश रावत पर मायावती का यह दांव भारी पड़ सकता है।
हरिद्वार सीट में दलित और मुस्लिम वोटरों का काफी प्रभाव है ऐसे में माना जा रहा था यदि कांग्रेस आलाकमान हरीश को हरिद्वार से मैदान में उतारता है तो हरीश बसपा सुप्रीमो से अमेठी और रायबरेली में प्रतियाशी न उतारने वाले वचन को हरिद्वार में भी निभाने के लिए आग्रह कर सकते है। लेकिन प्रियंका गांधी ने जिस तरह माया को नाराज़ किया है। ऐसे में बसपा सुप्रीमो से हरिद्वार में कांग्रेस को अभय दान दे ऐसा बहुत मुश्किल है।
यही कारण है कि बसपा सुप्रीमो हरिद्वार और नैनीताल में कांग्रेस का खेल बिगाड़ने के लिए 6 अप्रैल को जनसभा करने आ रही है। 6 अप्रैल को मायावती रुड़की और रुद्रपुर में रैली को संबोधित करेंगी। बसपा 4 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी में जुटी है।प्रचार को धार देने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती उत्तराखंड में दो रैलियां कर रही हैं।6 अप्रैल को मायावती रुड़की में दोपहर 12 बजे चुनावी रैली को संबोधित करेंगी।दोपहर 2 बजे कुमाऊं मंडल के रुद्रपुर में भी उनकी रैली होगी।बसपा प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप बालियान ने पुष्टि की है।
इसलिए हरीश रावत राजनीती के पुराने खिलाड़ी है, और जिस तरह से समीकरण एक दम से बदले हैं, ऐसे में उनको भी सोचना पड़ेगा कि अब हरिद्वार सेफ़ जोन नहीं है। अब ऐसे बदले समीकरणों में हरीश रावत हरिद्वार से लड़ने का रिस्क नहीं लेना चाहते। अब देखना होगा कांग्रेस आलाकमान हरीश रावत को लेकर क्या फैसला करता है !