मामचन्द शाह/विनोद कोठियाल
21 मार्च 2019, गुरुवार का दिन। सुबह थोड़ा सा ठंडा और आसमान में हल्के बादल छाए हुए। पांवटा साहिब जाने का प्लान इसलिए बना कि इस बार होली के हुड़दंग से दूर रहेंगे। शिमला बाइपास रोड पर ट्रकों में भर-भर कर लोग पांवटा साहिब जा रहे हैं। लोग टैक्सियों, बाइक, कार और ऑटो के साथ ही बसों में लदकर वहां जा रहे हैं। आखिर होली के सतरंगी त्यौहार को छोड़ इन सब लोगों में पांवटा साहिब जाने की होड़ सी क्यों मची है?
पांवटा साहिब एक ऐसी जगह है, जहां होली के रंगों से किसी को कोई मतलब नहीं। यानि वहां पर होली नहीं खेली जाती। हां, यदि किसी ने किसी पर रंग उड़ेलने की कोशिश भी की तो उसका चालान कर दिया जाता है। तब जाकर पता चला कि पांवटा साहिब तो ‘एंटी होली डेस्टिनेशन’ भी है।
इसके अलावा आम जन के लिए सुखद यह भी है कि गुरुद्वारे में आए सभी श्रद्धालुओं को लंगर खाने को मिलता है। पौंटा साहिब के एक बुजुर्ग सेवादार बताते हैं कि वे वर्षों से गुरुद्वारा की सेवा कर रहे हैं। उनके अनुसार नि:स्वार्थ भाव से यहां प्रतिदिन एक से डेेढ़ लाख श्रद्धालुओं को भोजन कराया जाता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इसके विपरीत गुरुद्वारा में पहुंचे किसी भी भक्त को चढ़ावा देने के लिए कभी आग्रह नहीं किया जाता है।
करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़ा रंगों का पावन पर्व अब हुड़दंगी आकार लेने लगा है। इसे पसंद करने वालों को छोड़कर उन लोगों को न चाहते हुए भी इसमें सहभाग होना पड़ता है, जो इस तरह की होली नापसंद करते हैं।
बीते साल होली के त्यौहार में केवल देहरादून शहर में ही 35 अलग-अलग दुर्घटनाएं हुई, जिसमें तीन अलग-अलग लोगों की जान चली गई। यही कारण है कि हुड़दंग और उन्माद से बचने के लिए शांतिप्रिय लोग ऐसे स्थान की तलाश में रहते हैं, जहां पर कोई विवाद न हो और लोग अपने परिजनों के साथ शांत माहौल में कुछ समय बिता सकें। इसके लिए देहरादून से सबसे निकटतम स्थान है पौंटा साहिब। आज पौंटा साहिब एंटी होली टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में बड़ी तेजी से विकसित हो रहा है।
यूं तो पौंटा साहिब में विश्व प्रसिद्ध गुरुद्वारा होने के कारण पर्यटकों का हुजूम उमड़ना कोई खास बात नहीं है, किंतु यदि होली के अवसर पर पौंटा साहिब की ओर जाने वाली सड़कें खचाखच भरी दिखेे तो आसानी से समझा जा सकता है कि अब लोगों ने एंटी होली डेस्टिनेशन की तलाश कर ली है।