कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने किन्नर रजनी रावत, किन्नर रानो व अन्य को सुरक्षा देने के साथ आरक्षण का फायदा भी देने के लिए सरकार को निर्देश दिए हैं।
सरकार से किन्नर वैलफेयर बोर्ड का गठन करने को कहा गया है ।
इसके अलावा भी न्यायालय ने किन्नरों के पक्ष में कई और निम्नवत निर्देश जारी किए हैं ।
1:- कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा व न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ ने एस.एस.पी.देहरादून को निर्देश दिए है कि किन्नरों के दोनों पक्षों को सुरक्षा दें।
2 :- सरकार को निर्देश दिए हैं कि इनको स्कूलों में प्रवेश व सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए छः माह में स्कीम बनाए व उनके कल्याण व सम्मान जनक जीवन जीने, उन्हें मुख्य धारा में सामील करने के लिए समाज में जागरूकता लाएं उनके आवास के लिए छः माह में योजना बनाए व उनकी स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए छात्र वृत्ति दें और उनकी आर्थिक मदद भी करे।
3 :- सरकार किन्नर वेलफेयर बोर्ड का गठन करे जिसमे किन्नरों का भी प्रतिनिधित्व हो।
4 :- उन्हें निःशुल्क चिकित्सा मिले और उन्हें सार्वजनिक स्थानो में आने जाने की छूट हो । सरकार को यह भी निर्देश दिए हैं कि उनके लिए सार्वजनिक स्थानों पर अलग से शौचालय बनाये जाय।
5 :- खण्डपीठ ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए है कि वे किन्नरों का रजिस्ट्रेशन करें और यह सुनिश्चित करे कि किन्नर बच्चे को उनके माँ बाप की अनुमति के बगैर न ले जाय। और उनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नही किया जाय।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी किन्नर रजनी रावत ने हाई कोर्ट में अपनी सुरक्षा के लिए याचिका दायर की है जिसमे उनका कहना है कि उनको देहरादून की किन्नर गद्दी विरासत में 1996 से मिली हुई है। वह देहरादून में बधाईया देने आदि की वसूली करती आई है, परन्तु कुछ समय से कुछ बाहरी जिलों जैसे हरियाणा यू.पी.के किन्नर उनके नाम से वसूली कर रहे हैं। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उनको धमकी दी गयी। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इनको यहाँ से हटाए जाने की शिकायत उन्होंने एस.एस.पी.देहरादून से भी की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अभी तक उनको हटाया तक नही गया है, वो अभी भी उनके नाम से अवैध रूप से वसूली कर रहे है।