कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने लंबे समय से लंबित हल्द्वानी और भीमताल के बीच बनने वाले महत्वपूर्ण जमरानी बांध को तीन वर्ष में पूरा करने के आदेश दिए हैं।
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न्यायालय ने सन 1975 से खटाई में पड़े जमरानी बाध को 3 साल में बनाने के आदेश दिए है और उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को आदेश दिए हैं की एक माह के भीतर जमरानी बाघ के निमार्ण को लेकर प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजे ताकि बाध का निमार्ण जल्द से शुरू किया जा सके।
न्यायालय ने दोनों सरकारों को निर्देश जारी कर कहा है कि बांध निर्माण के लिए जो भी संशोधित डी.पी.आर.भेजी जाएगी उसका निस्तारण 6 माह में करा जाए।
आपको बता देेें कि हल्द्वानी निवासी रविशंकर जोशी ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सन 1975 में जमरानी बांध 61.25 करोड़ की लागत के साथ स्वीकृत हुआ था। वर्ष 1982 में बांध का पहला चरण बनना शुरू हुआ और गौला बैराज का निर्माण किया गया। इस दौरान 40 किलोमीटर की नहरें भी बनी। सन 1988 में केंद्रीय जल आयोग से इसकी अनुमति मिली तो बांध की लागत 144.84 करोड़ पहुंच गई। वहीं याचिका में कहा गया है कि बांध निर्माण से उत्तर प्रदेश को 47 हजार व उत्तराखंड को 9 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में पानी, बिजली व सिंचाई देने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2014 में फिर से डी.पी.आर.बनाई गई तो लागत 2350.56 करोड़ पहुंच गई।
मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि दोनों सरकारें मिलकर तीन वर्ष के भीतर जमरानी बांध निर्माण का कार्य पूरा करें।
न्यायालय के इस आदेश के बाद याचिकाकार्त के अनुसार अब उनकी एक बार फिर से बाध बनने की उम्मीद जागी है, जिस्से आने वाले समय में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की बिजली पानी की दिक्कत कम होगी। इसके अलावा इस क्षेत्र में पर्यटन भी बढेगा और युवाओं को रोजगार मिलेगा।