कमल जगाती, नैनीताल
केदारनाथ त्रासदी पर बनी फिल्म केदारनाथ को लेकर दायर जनहित याचिका को उच्च न्यायालय ने निस्तारित कर दिया है।
फ़िल्म में केदारनाथ मन्दिर परिसर में बोल्ड किसिंग सीन और लव जेहाद को लेकर नाराज क्षेत्रवासियों ने जनहित याचिका दायर की थी। जनहित याचिका में श्रीबद्री श्रीकेदार मन्दिर समिति ने भी विरोध व्यक्त किया था। मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से कहा कि आप फ़िल्म को ना देखें। आप लोगों ने पहले भी पद्मावत फ़िल्म पर विवाद छेड़कर उसे सुपर हिट बना दिया था।
स्वामी दर्शन भारती की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश चंद खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में बनाई गई हाई लेवल कमिटी का हवाला देते हुए निर्णय उसपर छोड़ दिया है।
खण्डपीठ ने कहा कि रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी अपने विवेक का इस्तेमाल कर अपने निहित अधिकारों में कानून व्यवस्था जैसी स्थिति आने पर इस फ़िल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा सकते हैं।
याचीकाकर्ता स्वामी दर्शन भारती ने कहा कि उन्होंने लोकतंत्र के मंदिर उच्च न्यायालय पर विश्वास किया जहां से उन्हें निराशा हाथ लगी है। केदारनाथ देश और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इष्ट देव है, तो आज केदारनाथ का अपमान होने जा रहा है इसलिए फ़िल्म पर तत्काल प्रतिबन्ध लगाया जाए। कुछ लोगों की साजिश और कुचक्र से केदारनाथ में मुस्लिमों को बसाने का प्रयास हम हरगिज सफल नहीं होने देंगे। उन्होंने दावा किया है कि अगर तन मन के साथ फ़िल्म रिलीज को रोकने के लिए शरीर भी देना पड़े तो वो तैयार हैं।