कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने तीर्थो,मन्दिरों में पण्डितों और पुरोहितों की आर्थिक स्थिति सही नही होने पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ ने पण्डित हरिद्वार निवासी पण्डित सुभाष जोशी की लेटर पीआएल पर सुनवाई करते हुए सरकार को निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने 6 सितम्बर तक वित्त सचिव से जानकारी लेकर कोर्ट में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
याचिकाकर्ता ने अपने पत्र में कहा है कि तीर्थो ,मन्दिरों व श्मशान घाट में जो महा ब्राह्मण होते हैं, उनकी आर्थिक व सामाजिक स्थिति सही नही है, लिहाजा उनको सरकार जीवन यापन करने कें लिये आर्थिक सहायता या मंथली भुगतान करे, जिससे उनकी आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा हो सके।
इस मामले में खण्डपीठ ने अधिक्वता एमसी पंत को न्यायमित्र नियुक्त किया है। पंत ने उनका पक्ष रखते हुए कहा कि “तीर्थो को वैष्णो देवी और बालाजी की तर्ज पर श्राइन बोर्ड गठित किया जाय, जिससे इनमे कार्य करने वाले लोगों को वेतन व अन्य लाभ दिए जा सके।”
इस पर महाधिवक्ता द्वारा सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 25(जे) के अनुसार किसी भी धर्म विशेष के लिये इस तरह की सेवाएं देना उचित नही है, यह सविधान का उल्लंघन होगा। यह सम्भव भी नही है। खण्डपीठ ने इस मामले में महाहाधिवक्ता से कहा है कि वह इस सम्बन्ध में वित्त सचिव से वार्ता करें और 6 सितम्बर को स्थिति से कोर्ट को अवगत कराये। मामले की अगली सुनवाई हेतु 6 सितम्बर की तिथि नियत की है।
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने सरकार को प्रदेश के पुजारियों, मौलवियों, पादरियों और ग्रंथियों को सरकारी आर्थिक मदद और पेंशन देने पर अपनी राय न्यायालय को बताने को कहा है
न्यायालय ने सरकार से कहा कि वो सभी धर्मों के साथ सामंजस्य बनाते हुए कोई नीति बनाने के लिए फ्री है ।खण्डपीठ ने महाधिवक्ता को वित्त मंत्री के साथ इस मुद्दे पर विचार करने की आजादी दी है । मामले में अगली सुनवाई 6 सितंबर को होनी तय हुई है ।