भारत सरकार का स्लोगन है,बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ,लेकिन हकीकत कुछ और ही बया कर रही है।
ये वाक्या है रिखणीखाल प्रखंड के अन्तर्गत सीमांत व अति दुर्गम गाँव नावेतली की| जहाँ 12/04/2021 को गांव के बेरोजगार व बेसहाय युवक सोहन सिंह रावत की पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई|
उन्होंने उत्तराखंड के लोकप्रिय 108 एम्बुलेंस वाहन को फोन लगाया।काफी जद्दोजहद के बीच 108 एम्बुलेंस सेवा द्वारी तक पहुँची| जबकि ग्राम द्वारी से नावेतली की दूरी पांच किलोमीटर है|
एंबुलेंस ने भंडूखाल तक आने से मना कर दिया कि, सड़क उबडखाबड है कि, ऐसी हालत में 108 वाहन नहीं आ सकता।फिर सोहन सिंह रावत अपनी पत्नी को डंडी कंडी व चारपाई के सहारे मजदूर करके द्वारी तक ले गया।
द्वारी से 108 में रिखणीखाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक ले गया।वहाँ पर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने बिना समय गवाएं गर्भवती महिला को कोटद्वार के लिए अग्रिम चिकित्सा लाभ के लिए रेफर कर दिया।महिला को रिखणीखाल स्वास्थ्य केंद्र में देखा तक नहीं गया।
अब प्रसव पीड़िता कोटद्वार के लिए रवाना कर दी गयी तथा 108 में भेजा गया।इस बीच महिला ने बीच रास्ते ढाबखाल के पास 108 में ही नवजात शिशु को जन्म दे दिया।
जच्चा बच्चा दोनों सुरक्षित है।फिर वही से 108 में ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रिखणीखाल आ गये।तो महिला को रिखणीखाल में ही उतारकर नावेतली को अपने किराये के वाहन से जाने का फरमान जारी कर दिया।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रिखणीखाल के प्रभारी चिकित्साधिकारी श्रीमती राशि रंजन कुकरेती जी से गाँव नावेतली तक 108 एम्बुलेंस से भेजने की गुहार लगाई| लेकिन डाक्टर साहिबा ने एम्बुलेंस देने से साफ मना कर दिया।
एक महिला डॉक्टर होने के नाते उनका थोड़ा भी दिल नहीं पसीजा। सोहन सिंह रावत जो पीड़िता का पति है रोते रोते किराये की गाडी बुक करके प्रसव पीड़िता व नवजात शिशु को घर ले आया।
इस बीच 18/04/2021 को सोहन सिंह रावत ने अपनी आपबीती व्यथा सामाजिक कार्यकर्ता श्री प्रभुपाल सिंह रावत को बतायी तो उनसे रहा नही गया तो अब शासन प्रशासन क्या डाक्टर साहिबा के इस कृत्य पर क्या कार्रवाई करता है? या प्रसव पीड़िता ऐसे ही परेशान होती रहेगी या घुट घुट कर मजबूर रहेगी।जब हर मरीज ने रेफर ही होना है तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रिखणीखाल को खत्म ही कर देना चाहिए।
क्यों उनको बिना परिश्रम का वेतनमान दिया जाये।देखते है क्या कार्रवाई होती है या नहीं होती है।