दिनेश मानसेरा
पिछले दिनों एक संस्था के कार्यक्रम में वित्त सचिव अमित नेगी ने एक प्रजेंटेशन देकर बताया था कि हमारे उत्तराखंड स्टेट की प्रति व्यक्ति आय देश मे चौथे नम्बर पर है, करीब करीब गुजरात के बराबर।ताज़ा खबर यही बता रही है कि प्रति व्यक्ति आय अब 22 वें पॉयदान पर लुढ़कने वाली है। ओएनजीसी का मुख्यालय देहरादून से दिल्ली शिफ्ट होने वाला है। क्या आपकी सरकार अपने रसूख से ऐसा होने से रोक सकेगी? ऐसी कोशिश नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में हुई थी, उस वक्त तिवारी जी ने अटल जी के पास जाकर इसे रुकवा लिया था, अब परीक्षा त्रिवेंद्र सरकार को देनी है।
ओएनजीसी मुख्यालय की ग्रीन बिल्डिंग का जब पीएम मोदी ने शुभारम्भ किया था उसी वक्त ये खटका हुआ था कि इसका खामियाजा उत्तराखण्ड को भुगतना पड़ेगा और इसका लाभ सीधे दिल्ली सरकार को मिलेगा। दरअसल कई फंडिंग और निवेश केंद्र सरकार की तरफ से प्रति व्यक्ति आय से निर्धारित होते है। ओएनजीसी की आयकर की जमा रकम जाने से, एलआईसी और दूसरे निजी बीमा कंपनियों के टारगेट भी गड़बड़ा जाने वाले है। इन कंपनियों की बाध्यता होती है कि वो जहां से टारगेट पूरे करते है। उसी राज्य में उसी अनुपात में निवेश भी करते हैं, कॉर्परेट वेलफेयर भी करते है।
आठ हजार करोड़ की रकम कोई छोटी नही होती। केंद्र को राज्य का एक बड़ा योगदान होता है। जिसके दम पर सरकार एक रुतबे से योजनाओ की फंडिंग लेकर आती है। ऐसे में ये ओएनजीसी का मुख्यालय शिफ्ट होना सरकार की प्रशासनिक विफलता का एक कारण बन जायेगा। यदि जल्दी ही कोई कारगर कदम नही उठाया गया तो देर हो जाएगी।