उत्तराखंड सरकार द्वारा इमेज बिल्डिंग के लिए सूचना विभाग के अलावा मीडिया सलाहकार, मीडिया कॉर्डिनेटर के साथ-साथ तीन उप समन्वयक सोशल मीडियाा भी तैनात किए गए हैं। सूचना विभाग अपने आप में इतना वृहद विभाग है, जहां चपरासी से लेकर महानिदेशक तक सभी पदों पर तैनातियां हैं।
सूचना विभाग में प्रमोद तिवारी, दीपक कुमार, दीपारानी गौड़ और अंजू धपोला अनुवादक के रूप में काम कर रहे हैं। अंजू धपोला शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं, जिन्हें विशेष रूप से अनुवादन करने के लिए दिल्ली में तैनात किया गया है। शेष तीनों अनुवादकों को ४२००-५२०० ग्रेड पे के अनुसार भारी भरकम वेतन भत्ते मिलते हैं। इन अनुवादकों का मात्र इतना काम होता है कि मुख्यमंत्री से संबंधित कोई भी खबर यदि आए तो उनका हिंदी के अलावा अंग्रेजी में भी अनुवाद कर अखबारों व टेलीविजन चैनलों को भेज देना है। इन चारों कार्मिकों पर हर महीने तकरीबन ४ लाख रुपए खर्च होता है।
इसके बावजूद उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार ने समाचारों, प्रेस नोट के अनुवादन के लिए बकायदा एक प्राइवेट लिमिटेड रख दी है। मैसर्स स्टार शाइन मीडिया प्रा.लि. देहरादून नाम की इस कंपनी को एक मार्च २०१८ से अगले तीन साल के लिए अनुबंधित किया गया है। मीडिया सेंटर, सचिवालय और मुख्यमंत्री युनिट के समाचारों के अनुवादन के लिए इन्हें प्रतिमाह ९५५८० रुपए, मीडिया सेंटर विधानसभा के लिए ३१८६०, मीडिया सेंटर हल्द्वानी के लिए ३१८६०, उत्तराखंड राज्य सूचना केंद्र नई दिल्ली के लिए ६३७२, उत्तराखंड के समस्त जिला सूचना कार्यालयों के लिए ६३७२०० रुपए, कुल मिलाकर ८ लाख २ हजार ८७२ रुपए तय किए गए हैं।
मैसर्स स्टार शाइन मीडिया प्रा.लि. के लिए २६ फरवरी २०१८ को हुए इस आदेश पर सूचना विभाग के महानिदेशक डा. पंकज कुमार पांडेय के हस्ताक्षर हैं। पंकज कुमार पांडेय स्वयं एक आईएएस अफसर हैं। अब अनुवाद का काम स्वयं के पास चार कार्मिकों के होने के बाद आउटसोर्स एजेंसी को देने का क्या औचित्य है, यह किसी की समझ में नहीं आया। जिस विभाग में पहले से ही चार कर्मचारी अनुवादक के रूप में भारी भरकम वेतन ले रहे हों, तो क्या अब उनका वेतन बंद कर दिया जाएगा या उनसे अब कार्यालय में चाय-पानी का काम लिया जाएगा।
सरकार द्वारा जिस प्रकार अनुवादन के लिए आउटसोर्स एजेंसी को काम दिया गया है, उस पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं।