भूपेंद्र कुमार
उत्तराखंड हाईकोर्ट में नगर निकायों के सीमा विस्तार के खिलाफ दायर मामले में हाई कोर्ट ने सीमा विस्तार के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह माना है कि गांव को नगर निकायों में शामिल करने का नोटिफिकेशन जारी करने से पहले सरकार ने गांवों की बात नहीं सुनी और न ही उनकी आपत्तियां दर्ज की।
हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि 24 घंटे के अंदर जनसुनवाई का नया आदेश जारी करें और जन सुनवाई के लिए 1 हफ्ते का समय दें।
1 हफ्ते के बाद जन सुनवाई के पश्चात ग्रामीणों की आपत्तियों का भी निराकरण करें और उसके बाद यह रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करें।
नगर निकाय में शामिल करने के खिलाफ चालीस गांवों की ओर से याचिकाएं दाखिल की गई थी। हाई कोर्ट ने पहले तो यह पूछा कि परिसीमन के समय जनता की राय भी ली गई थी या नहीं ! महाधिवक्ता को शुक्रवार को जवाब देने को कहा गया था।
सरकार का जवाब सुनने के बाद हाई कोर्ट ने नगर निकायों के विस्तारीकरण को गलत बताते हुए इसे खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट ने यह माना कि जनता की राय लिए बिना ही गांवों को जबरन नगर निकायों में शामिल किया जा रहा है। नगर निकायों में शामिल होने के विरोध में याचिकाकर्ताओं ने सरकार की अधिसूचना को कानून के विरुद्ध बताते हुए इसको रद्द करने की मांग की थी।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत चुने गए प्रधानों पर जबरन बस्ते जमा करने का दबाव भी बनाया जा रहा था।