अभियोजक की कड़ी पैरवी से गैंगस्टर को 5 साल की सजा। किसी अनजान शख्स की टैक्सी बुक करते समय अतिरिक्त सतर्कता बरतें।
बेहतर रहेगा कि आप टैक्सी करने के बाद टैक्सी के नंबर और टैक्सी ड्राइवर की फोटो अपने नजदीकी परिजनों को WhatsApp पर भेज दें और उनको जानकारी भी दे दे कि आप किस वाहन से कहां जा रहे हैं।
इससे आपके साथ होने वाली किसी भी अनहोनी की आशंका बहुत कम हो जाएगी। अब पहाड़ों में भी सवारियों को लूटने वाले गेम सक्रिय हो गए हैं। ऐसे ही एक गैंग को विशेष लोक अभियोजक जे एस बिष्ट की कड़ी पैरवी ने सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
रशीद अहमद और हिमांशु थापा ऐसे ही दो शातिर गैंगस्टर थे। वे सवारियों को अपनी टैक्सी में बैठाते थे और बहाने से नशीला पदार्थ खाने पीने में मिलाकर बेहोश कर देते थे। फिर उन्हें जंगल में ले जाकर उनकी हत्या करके उनका सारा सामान लूटकर सवारियों की लाश को जंगल में ही दफना देते थे।
वर्ष 2011 में इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। 31 अगस्त वर्ष 2010 में भी इन्होंने वरुण पांडे नाम के एक युवक की ऐसे ही हत्या कर दी थी।
राशिद के खिलाफ हत्या के 5 मुकदमे दर्ज हैं और दोनों के खिलाफ पूरे 8 मुकदमे हैं। विशेष लोक अभियोजक जे एस बिष्ट ने सबूतों और साक्ष्यों के साथ कोर्ट में पैरवी की तो विशेष न्यायाधीश गुरबख्श सिंह की अदालत में दोनों को पांच 5 साल की कठोर कारावास और ₹10000 जुर्माने की सजा सुना दी। कोर्ट परिसर में इस मामले को एक नजीर के तौर पर लिया जा रहा है।