विनोद कोठियाल
देहरादून :
भ्रष्ट अधिकारी किशन चंद के खिलाफ खुली विजिलेंस जांच शुरू। पर्वतजन की खबर का लिया संज्ञान
आखिरकार भ्रष्ट आईएफएस अफसर किशन चंद फिर से विजिलेंस के फंदे में आ ही गया। पर्वतजन की खबर का संज्ञान लेते हुए विजिलेंस विभाग ने पहले पर्वतजन द्वारा खुलासा किए गए किशन चंद की संपत्ति का जायजा लिया और प्रारंभिक जांच के बाद जब अकूत धन संपदा का पता चला तो फिर शासन से आई एफ एस किशन चंद की आय से अधिक संपत्ति की जांच करने के लिए अनुमति मांगी।
शासन में यह मामला आने पर एक बार तो सतर्कता विभाग के अफसर भी हैरत में पड़ गए। इसके बाद बाकायदा सचिव सतर्कता समिति की बैठक में यह मामला रखा गया।
सचिव सतर्कता समिति मे प्रमुख सचिव सतर्कता राधा रतूड़ी और मुख्य सचिव उत्पल कुमार की अगुवाई में शुरू हुई समिति से मंजूरी के बाद मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अनुमति ली गई।
अनुमति मिलने के बाद विजिलेंस विभाग ने किशन चंद की खुली विजिलेंस जांच शुरू कर दी है। अब लंबे समय से अपनी राजनीतिक संबंधों का फायदा लेने वाला यह अफसर मुसीबत में फंस चुका है। पर्वतजन ने जब किशनचंद की अकूत धन संपदा का खुलासा किया था तो तत्कालीन विजिलेंस निदेशक अशोक कुमार ने भी तत्कालीन CM हरीश रावत सिंह जांच करने की अनुमति मांगी थी, किंतु तब यह अनुमति नहीं दी गई थी।
वन विभाग में डीएफओ के पद पर तैनात अधिकारी किशन चंद अपने कार्यकाल में जहां पर भी तैनात रहे, खासी चर्चाओं में रहे। चाहे डीएफओ रुद्रप्रयाग में तैनात रहे हो या फिर हरिद्वार में, सभी जगह इस अधिकारी की घपले घोटालों के चर्चे किसी से छिपे नहीं रहे।
खास करके हरिद्वार में डीएफओ के कार्यकाल के दौरान किशन चंद द्वारा हाथी दीवार का निर्माण के घोटाले के रूप में खासी चर्चा में रहे हैं। राजाजी नेशनल पार्क की सीमाओं में रहने वाले ग्राम वासियों द्वारा जब घटिया गुणवत्ता की हाथी दीवार का निर्माण की शिकायत शासन से की गई तो इससे एक बड़ा घोटाला सामने आया।
पर्वतजन पत्रिका ने पूर्व में इस अधिकारी पर कवर स्टोरी प्रकाशित की थी। इसी का संज्ञान लेते हुए विजिलेंस ने इस भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ खुली विजिलेंस जांच का निर्णय लिया। जिस पर मुख्यमंत्री ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी इससे पहले भी कांग्रेस के कार्यकाल में मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा इस अधिकारी की खिलाफ विजिलेंस जांच की अनुमति नहीं दी गई थी। जिस कारण यह भ्रष्ट अधिकारी जांच से बच गया था। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दल के नेताओं पर इस अधिकारी का खासा प्रभाव रहता है।
जहां कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री द्वारा इस अधिकारी की जांच की अनुमति नहीं दी गई और इसे बचाया गया, वहीं भाजपा सरकार में सरकार बनते ही नए वन मंत्री हरक सिंह रावत को विश्वास में लेकर उनका खास बना यह अधिकारी मंत्री के साथ विदेश भ्रमण पर भी गया था।
जांच का विषय कोई नया नहीं है। इससे पूर्व में भी इस अधिकारी की दो बार जांच हो चुकी है। वर्ष 2004 में व राज्य बनने से पूर्व उत्तर प्रदेश में भी इस भ्रष्ट अधिकारी की विजिलेंस जांच हो चुकी है। किंतु वर्तमान में यह दोनों जांच रिपोर्ट की फाइलें शासन तथा वन विभाग से गायब है किसी के पास आरटीआई में भी इसका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। किंतु पर्वतजन के पास वर्ष 2001 में की गई विजिलेंस जांच की 200 पृष्ठों की एक फोटो कॉपी जरूर है। इसी के आधार पर पर्वतजन ने पाठकों को इनके पुराने घपले-घोटालों से अवगत कराया था।
ऊंची पहुंच पकड़ के चलते और बड़ी सेटिंग में माहिर यह अधिकारी हमेशा ही बच निकलता है। राजाजी नेशनल पार्क में अवैध भर्तियों का मामला हो या हाथी दीवार का निर्माण हो इसके अलावा भी अनेक प्रकार के गंभीर घोटालों के आरोप इस अधिकारी पर लगते रहे हैं।
किशन चंद की पत्नी बृजरानी कांग्रेस के टिकट पर हरिद्वार से चुनाव लड़ चुकी है और चुनाव के दौरान डीएफओ रुद्रप्रयाग रहते हुए भी किशनचंद ने पूरे चुनाव का संचालन भी खुद किया और उसके बाद रुद्रप्रयाग के साथ-साथ हरिद्वार में भी राजाजी नेशनल पार्क के अंतर्गत डीएफओ का चार्ज भी सेटिंग करके खुद ही ले लिया।
डीएफओ हरिद्वार रहते हुए इन पर आरोप है कि राजाजी नेशनल पार्क से सटी सीमाओं पर स्टोन क्रेशर के कारोबार में मे नेताओं के साथ उनकी कांग्रेस सरकार में हिस्सेदारी थी। नेताओं के साथ कारोबारी संबंध होने का फायदा उठाकर वह डिप्टी डायरेक्टर राजाजी नेशनल पार्क भी बन गए जबकि उनसे सीनियर कई अधिकारी उनके अंडर में ही डीएफओ का कार्य करते रहे।
इन पर अकूत धन संपदा एकत्रित करने का आरोप भी कई बार लग चुके हैं।
हरिद्वार में इनके नाम पर कई बीघा जमीन है और महंगी गाड़ियां भी हैं। जबकि देहरादून बसंत विहार में इनका एक आलीशान बंगला भी है।
पूर्व में विजिलेंस की जांच में यहां स्पष्ट उल्लेख है कि डीएफओ किशनचंद के पास अकूत धन संपदा है।
पर्वतजन में किशन चंद पर कवर स्टोरी छपने पर ऋषिकेश निवासी सामाजिक कार्यकर्ता विनोद जैन द्वारा पर्वतजन पत्रिका में छपे तथ्यों के आधार पर प्रधानमंत्री कार्यालय में इसकी शिकायत की गई थी। प्रधानमंत्री कार्यालय से शिकायत की प्रति को कार्यवाही हेतु मुख्य सचिव उत्तराखंड सरकार को भेजा गया। मुख्य सचिव द्वारा उक्त पत्र को जांच के लिए तत्कालीन वन विभाग के अपर मुख्य सचिव रामास्वामी को जांच के लिए सौंपा गया। कुछ समय बाद ही रामास्वामी भी मुख्य सचिव भी बन गए परंतु उनके द्वारा इस मुद्दे पर कोई जांच नहीं की गई।
अब विजिलेंस ने पत्रिका पर्वतजन का संज्ञान लिया है विजिलेंस विभाग के डायरेक्टर रामसिंह मीणा के निर्देशन में हो रही जांच से उम्मीद की जा सकती है कि इस जांच का परिणाम कुछ सकारात्मक निकलेगा।