गिरीश गैरोला
उत्तरकाशी के जिला जज डीपी गैरोला ने जीआईसी चिन्यालीसौड़ में आयोजित जिला विधिक सेवा कैम्प में संबोधित करते हुए कहा कि आर्थिक तंगी अथवा अन्य कारणों से कोई भी व्यक्ति न्याय से दूर नही रहना चाहिए। कैम्प के माध्यम से कानूनी अधिकारों के अलावा सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास योजनाओं की जानकारी और सम्बन्धित शिकायतों का भी निवारण किया जाता है।
कैम्प में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव प्रमोद राणा ने बताया कि एक बार कानून बन जाने के बाद यह अपेक्षा की जाती है कि प्रत्येक व्यक्ति को उस कानून के बारे में पूर्णतया जानकारी है। कोई भी नागरिक कानून की जानकारी न होने का बहाना देकर इससे बच नहीं सकता उन्होंने बताया कि देशभर के सभी पात्र लोगों को समान रूप से न्याय दिलाने के लिए वर्ष 1987 में एक कानून बनाया गया था, जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर पर , राष्ट्रीय विधिक विधिक सेवा प्राधिकरण, प्रत्येक राज्य में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और जिले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गठित किया गया है।
इसका मकसद अनुसूचित जाति , जनजाति , महिला, बच्चे , आपदा पीड़ित परिवारों और आर्थिक रुप से ऐसे परिवारों को जिनकी वार्षिक आय ₹ एक लाख से कम है, को कानूनी मदद के तौर पर निशुल्क अधिवक्ता दिया जाता है, इसके अलावा कोर्ट के अन्य खर्चे भी विधिक सेवा प्राधिकरण ही वहन करता है।
भारतीय संविधान में यह अपेक्षा की गई है कि प्रत्येक नागरिक को समान समाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय प्राप्त हो। इस हेतु सरकार विभिन्न समय पर कानून बनाती आ रही है किन्तु अपेक्षित लाभ न मिलने पर और संविधान की मन इच्छा को मूर्त रूप देने के लिए भारतीय संविधान के अनुछेद 39 (क) में यह व्यवस्था दी गयी है कि कोई भी व्यक्ति अपनी आर्थिक कमजोरी या असमर्थता के कारण न्याय पाने से वंचित न रहे।
इस अनुच्छेद द्वारा यह भी निर्देशित किया गया है कि उपयुक्त विधान या योजना द्वारा सामाजिक न्याय को प्राप्त करने हेतू निःशुल्क विधिक सेवाएँ उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए। अर्थात राज्य का दायित्व है कि वह सुनिश्चित करें कि विधि तंत्र इस प्रकार काम करें कि सभी को समान अवसर के अधार पर न्याय सर्वजन को सुलभ हों सके।
इसी उद्धेश्य से आम जनता के हित को सुरक्षित रखने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 का कानून बनाया गया है और इस अधिनियम के द्वारा असहाय व निर्बल वर्गों को कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रयास किया गया है।
इन जनहितकारी सरकारी संस्थाओं का एक मात्र जनहित उदेश्य है ” न्याय सबके लिए”