कमल जगाती
ब्रेकिंग न्यूज़, नैनीताल :- उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में आज ट्रांसपोर्ट सचिव सेंथिल पांडियन से एक माह के भीतर रोड सेफ्टी ऑडिट कर जरूरी कदम उठाने को कहा है । वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने सचिव को हर तहसील में 73 क्रियान्वयन टीम बनाकर मोटर वैहिकील अधिनियम का पालन करने को कहा है । तीन माह के भीतर सचिव ने सभी सवारी वाहनों में रूट के हिसाब से स्पीड गवर्नर लगाने की बात स्वीकारी है । न्यायालय ने सरकार से एक हफ्ते में परिवहन विभाग को 100 नशा मापन यंत्र मुहैय्या कराने को कहा है । न्यायालय ने कहा कि सभी यात्री वाहनों के ड्राइवर और कंडक्टर वर्दी(ड्रेस) में रहेंगे, साथ में उनका महिलाओं, बच्चों और वृद्धों समेत सभी के प्रति अच्छा व्यवहार रहे । न्यायालय ने ओवरलोडिंग, ओवर स्पीडिंग, नशे में वाहन चलाने वालों, वाहन चलाते समाय मोबाइल पर बात करने और रेड लाइट जम्प करने वालों के खिलाफ आई.पी.सी.और मोटर वैहिकील एक्ट के अंतर्गत एफ.आई.आर.दर्ज करने को कहा है । ट्रांसपोर्ट विभाग को 24 घण्टे के लिए टेम्परेरी मोबाइल फोन जप्त करने की भी अनुमति दी गई है । न्यायालय ने सभी निजी वाहनों से गाड़ी के आगे और पीछे लगने वाले गार्ड, एक्स्ट्रा लाइट, हूटर और सायरन को विभाग द्वारा एक हफ्ते में हटाने के आदेश दिए हैं । न्यायालय ने 72 घंटे में सभी वाहनों से हाई कोर्ट, आर्मी, पुलिस और प्रेस के साथ अधिशाषी अधिकारी और न्यायिक अधिकारियों के साइन हटाने को कहा है । न्यायालय ने अरुण कुमार की सन 2011 की याचिका पर अपना निर्णय सुनाते हुए सभी पब्लिक बसों में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जी.पी.एस.)लगाने के लिए छह माह का समय दिया है ।
इससे पहले सचिव पांडियन ने न्यायालय को बताया कि पूरे राज्य में लगभग 1000 ऐसे स्थल हैं जहाँ हादसे होने की संभावनाएं ज्यादा हैं । उन्होंने न्यायालय को बताया कि सड़क की दुर्दशा, ओवरलोडिंग, ओवर स्पीडिंग, नशे में वाहन चलाना और खस्ताहाल वाहन हादसों के मुख्य कारण हैं । सचिव ने न्यायालय को ये भी बताया कि प्रदेश में 21 ऐसी टीम हैं जो मोटर वैहिकील एक्ट के उल्लंघन करने पर नजर रखती हैं ।
कैंसर रिसर्च अस्पताल की रनिंग के लिए तीन माह का टाइम
ब्रेकिंग न्यूज़, नैनीताल :- उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने चंद्र शेखर जोशी की जनहित याचिका पर निर्णय सुनाते हुए सरकार से हल्द्वानी के स्वामी रामा कैंसर अस्पताल और रिसर्च इंस्टीट्यूट में कैंसर विज्ञान, सर्जिकल शल्य चिकित्सा, रक्त चिकित्सा, स्त्रीरोग चिकित्सा और कर्करोग विज्ञान को तीन माह में पूर्णतः कार्यरत बनाने के निर्देश दिये हैं । वरिष्ठ न्यायाधीश रिजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने स्वामी रामा कैंसर अस्पताल और रिसर्च इंस्टीट्यूट को मैडिकल कॉलेज का हिस्सा बताते हुए राज्य सरकार से वहां सभी उच्च स्तर की मशीनें उपलब्ध कराने को कहा है । न्यायालय ने सरकार को तीन माह में इंस्टीट्यूट में नैफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी और कार्डियोलॉजी विभाग स्थापित करने के बाद सभी रिक्त पदों को विधिवत तीन माह में भरने के निर्देश भी दिए हैं ।
अधिवक्ता ललित मिगलानी ने बताया कि न्यायालय ने मैडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को अस्पताल को बिल्कुल स्वच्छ बनाने को कहा है । न्यायालय ने मरीजों को जीवन रक्षक और दूसरी दवाएं निःशुल्क देने को भी कहा है । इस जनहित याचिका में न्यायालय ने मैडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भी पार्टी बनाया था । मैडिकल अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं की कमी को दर्शाती इस याचिका को निस्तारित कर दिया गया है ।