कुलपति डा. यूएस रावत का कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ा दिया गया है। इसका श्रेय उनके कुशल नेतृत्व और बेहतर अनुभव को जाता है।
पर्वतजन ब्यूरो
बड़े जोर-शोर से उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में उच्च व्यावसायिक संस्थानों की संबद्धता हेतु ‘श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालयÓ की स्थापना हुई, लेकिन अपने स्थापना के समय विश्वविद्यालय के पास किसी भी प्रकार के भौतिक, मानवीय एवं वित्तीय संसाधन उपलब्ध नहीं थे। ऐसे में विवि चलाने के लिए कई चुनौतियां खड़ी थी। बावजूद इसके बहुत कम वर्षों में ही श्रीदेव सुमन विवि को विशेष पहचान मिली है, इसका पूरा श्रेय कुलपति डा. यूएस रावत को जाता है।
विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए अत्यंत विपरीत परिस्थितियों एवं कठिनाइयों के बाद भी कुलपति डा. यूएस रावत के नेतृत्व में अधिकारियों व कर्मचारियों के सामुहिक प्रयास से विश्वविद्यालय की स्थापना कर दी गई और आज श्रीदेव सुमन किसी परिचय का मोहताज नहीं है।
दरअसल उत्तराखंड में गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडल में एक-एक विश्वविद्यालय मौजूद हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इन दोनों विश्वविद्यालयों ने प्राइवेट परीक्षाएं कराने से हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे में प्रदेशभर के व्यक्तिगत परीक्षार्थियों के समक्ष गंभीर समस्या खड़ी हो गई थी। मुख्य रूप से इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड शासन ने ४ नवंबर २०११ एवं संशोधित अधिसूचना १९ अक्टूबर २०१३ को विश्वविद्यालय गठन के लिए शासनादेश जारी किया। चूंकि नए विवि में सभी बुनियादी व ढांचागत सुविधाओं का अभाव था और विवि के लिए ऐसे कुलपति की आवश्यकता थी, जो इन सभी प्रबंधनों के साथ ही गुणवत्ता की कसौटी पर भी खरा उतर सके। इस दौरान काफी मंथन के बाद १० दिसंबर २०१२ को डा. यू.एस. रावत को श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय का प्रथम कुलपति नियुक्त किया गया। डा. यूएस रावत ने इस पदभार को स्वीकार करते हुए विवि को विशेष पहचान दिलाने का संकल्प भी लिया।
विवि के कुलपति के रूप में तत्समय डा. यूएस रावत के समक्ष सर्वाधिक चुनौतियां खड़ी थी, लेकिन रावत ने भी इन चुनौतियों को खुद को साबित करने के स्वर्णिम अवसर की तरह लिया और फिर धीरे-धीरे विश्वविद्यालय सभी मानकों के साथ ही विद्यार्थियों की आवश्यकता पर भी खरा उतरने लगा। यही कारण है कि विवि की स्थापना से वर्तमान तक विश्वविद्यालय से १८ राजकीय महाविद्यालयों, २८ बीएड संस्थानों, १७ सांध्यकालीन संस्थान एवं ८६ निजी संस्थान मान्यता/संबद्ध हैं।
यही नहीं विवि स्थापना के प्रथम सत्र वर्ष २०१२-१३ में विवि में ३२,८०० व्यक्तिगत परीक्षार्थी शामिल हुए। वर्ष २०१३-१४ में ६०,२०१ व्यक्तिगत परीक्षार्थियों के साथ ही ३२०० संस्थागत छात्रों को भी विवि में अध्ययन करने का मौका मिला। २०१४-१५ में ८२,९३१ व्यक्तिगत, जबकि ८१०० संस्थागत छात्रों ने विवि में पढ़ाई की।
चंबा स्थित महाविद्यालय परिसर, जो कि उच्च शिक्षा विभाग की संपत्ति थी और जो अत्यन्त जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था, में सुधार करवाकर कुलपति सचिवालय, कुल सचिव कार्यालय, परीक्षा अनुभाग, वित्त अनुभाग के कार्यालय तैयार करवाकर विश्वविद्यालय विवि कैंपस की स्थापना की गई है।
स्थापना के समय से ही डा. यू.एस. रावत श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय का कार्यभार बखूबी निभा रहे हैं। यह उनके कुशल नेतृत्व का ही परिणाम था कि विवि एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी (एआईयू) की सूची में सम्मिलित हो पाया।
इसके अलावा विवि को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सूची में भी सम्मिलित कराया गया। विद्यार्थियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए विवि की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट एसडीएसयूवी डॉट एसी डॉट इन तैयार की गई। राज्य सरकार द्वारा विवि को वर्ष २०१३ से व्यक्तिगत परीक्षाएं संपन्न करने के लिए भी अधिकृत किया गया। आज विवि से प्रतिवर्ष लाखों व्यक्तिगत परीक्षार्थी अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के सपने को साकार कर रहे हैं।
हमने श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के लिए भूमि का चयन कर लिया है। शीघ्र ही विवि का निर्माण कार्य आरंभ कर दिया जाएगा।
– डा. यू.एस. रावत
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय