1993 का स्वीकृत महाविद्यालय
उत्तराखंड में भाजपा सरकार आने के बाद उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने यहां के महाविद्यालयों में आश्चर्यजनक रूप से सौ फीट या इससे अधिक ऊंचाई के राष्ट्रीय ध्वज फहराए, लेकिन जिन तमाम महाविद्यालयों में फैकल्टी की भारी कमी बनी हुई है, वहां की व्यवस्था आज भी दुरुस्त नहीं हो पाई है।
ऐसे ही एक महाविद्यालय का उदाहरण ले लीजिए। यमुनाघाटी के स्व राजेन्द्र सिंह रावत राजकीय महा विद्यालय बड़कोट को एक वर्ष पूर्व स्थायी भवन मिला तो लगा कि अब सुविधाओं के साथ उच्च शिक्षा को भी अब मजबूती मिलेगी, लेकिन नगर क्षेत्र बडकोट से 09 किमी दूर स्थित होते ही डिग्री कॉलेज केवल बाहर से चमकदार दीखता है, बल्कि अंदर से अभी भी खोखला है। कॉलेज मिले हुए एक वर्ष बीत गया, लेकिन आज तक कॉलेज को चारदीवारी नसीब नही हो पायी। 405 संख्या वाले इस कॉलेज में करीब 65 प्रतिशत संख्या केवल बालिकाओं की ही है। जिसमे 255 बालिका, जबकि 150 बालक कॉलेज में इस वर्ष दाखिला ले चुके हैं। फेकल्टी की बात करें तो कॉलेज महज गेस्ट फेकल्टी पर ही निर्भर है। विज्ञान वर्ग में PCM ग्रुप में कोई भी प्रोफेशर नियुक्त नहीं है, जबकि बोटनी और जूलोजी में केवल गेस्ट टीचर के भरोसे ही चल रहा है। यही कारण है कि पिछले सत्र में 80 फीसदी बच्चे बैक पेपर का शिकार हो गये या फिर फेल हो गये।
यही हाल कला वर्ग में भी है। केवल हिंदी और इतिहास में प्रोफेसर तैनात है, जबकि अर्थशास्त्र भी केवल गेस्ट टीचर के भरोसे है, जबकि इंग्लिस और राजनीती विज्ञान विगत कई सालों से खाली पड़ा है। इन सभी में डिग्री कॉलेज की सबसे बड़ी समस्या यातायात की है, क्योंकि जिस जगह कॉलेज स्थापित है, वहां यातायात का कोई साधन मौजूद नहीं है। लिहाजा बच्चे 8 से 10 किमी पैदल चलकर कॉलेज पहुँचते हैं। वहीं छात्रों का कहना है कि अगर विद्यालय में जल्दी से जल्दी उनकी समस्या का निराकरण नहीं किया गया तो सड़कों पर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
इधर प्राचार्य डा. ए.के. तिवारी का कहना है कि जल्द ही शिक्षकों की कमी दूर होने की उम्मीद है।