नीरज उत्तराखंडी
आंचल ने जगाई आस, मशरूम की खेती को बनाया आजीविका का जरिया
पुरोला। नौकरी के लिए मैदानों की खाक छान रहे वेरोजगार युवाओं के लिए आंचल ने एक प्रेरणा की मिसाल पेश की है।
एसजीआरआर कालेज देहरादून से बीएससी हार्टिकल्चर में मशरूम की खेती के विषय में पढ़ाई की। मशरूम की खेती करने जानकारी हासिल कर अपने घर आकर मशरूम की खेती शुरू कर अपनी आजीविका और आर्थिकी का जरिया बनाकर वेरोजगार युवाओं के लिए एक नई आस जगाई है।
पुरोला विकास खण्ड के मखना गाँव की आंचल रावत ने अपने घर के एक कमरे में मशरूम उगाकर वेरोजगार युवाओं के लिए प्रेरणा की मिसाल पेश की है। उसका कहना है कि कम लागत और समय में मशरूम की खेती आजीविका का जरिया बन सकती है। जिससे आर्थिक स्थिति तो मजबूत होगी ही गाँव से पलायन भी रूकेगा।जरूरत है सरकार युवाओं को उचित आर्थिक मदद और प्रोत्साहन दे।
आंचल का कहना है कि मशरूम की खेती करने के लिए उनके शिक्षक ने उसे प्रेरित और प्रोत्साहित कर मशरूम के बीज (स्पन ) खाद ,दवाइयां तथा अन्य आवश्यक सामग्री देहरादून से पुरोला भिजवा कर उसकी मदद की ।पुरोला में ये सब चीजें अभी उपलब्ध नहीं है।
मशरूम की खेती करने की जानकारी साझा करते हुए आंचल ने बताया कि मशरूम को उगाने के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान की जरूरत होती है तथा फसल 25 से 30 दिन में तैयार हो जाती है। यहां मौसम को देखते हुए जुलाई अगस्त के महीने में मशरूम उगाये थे। जिसकी गाँव में काफी मांग होने लगी।
आंचल का कहना है कि यदि उसे आर्थिक मदद मिले तो वह बडे पैमाने पर मशरूम की खेती करने के साथ ही मशरूम की खेती करने के इच्छुक युवाओ को प्रशिक्षण भी दे सकती है। जिससे क्षेत्र के वेरोजगार युवा और किसान मशरूम उगाकर अपनी आजीविका चलाने के साथ ही आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर सकते है और रोजगार के शहरों की खाक नहीं छाननी पड़ेंगी।
सफलता का श्रेय श्री गुरु राम राय कालेज देहरादून के शिक्षकों तथा अपने पिता राजेन्द्र सिंह रावत को देती है।
युवाओं को आंचल की कामयाबी से प्रेरणा लेकर स्वरोजगार और स्वाभिमान स्वावलम्बन की ओर कदम बढ़ाने होंगे।