मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के चेहरे पर निकाय चुनाव लड़ रही भारतीय जनता पार्टी भले ही आपसी सहमति से टिकट दिए जाने के लाख दावे कर रही हो किंतु जिस तरह से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ही भाभी कांति रावत ने सतपुली नगर पंचायत से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया है,उनके तेवरों से लगता नहीं कि भाजपा इस मुद्दे पर डैमेज कंट्रोल कर पाएगी
नामांकन के दिन उनके जुलूस में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की संख्या भी मुख्यमंत्री के मौके पर बल डालने के लिए काफी है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बड़े भाई जगपाल सिंह रावत ने कहा कि वह काफी लंबे समय से नगर पंचायत अध्यक्ष की दावेदारी और तैयारी में जुटे थे। जगपाल सिंह रावत बताते हैं कि उनकी पत्नी कांति रावत पूर्व ग्राम प्रधान रही है और उन पर स्थानीय जनता का चुनाव लड़ने के लिए काफी दबाव भी था, साथ ही वह कभी भी वैचारिक रूप से भाजपा के साथ नहीं थे।
यही नहीं भाजपा ने सतपुली सीट से मुख्यमंत्री के पुराने साथी वेद प्रकाश शर्मा की पत्नी अंजू वर्मा को टिकट दिया तो संघ नेता पुष्पेंद्र राना ने अपनी पत्नी सूची राणा को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मैं मैदान में उतार दिया है। साथ ही पूर्व प्रधान जगदंबा डंगवाल ने भी अपनी पत्नी मीनू डंगवाल को उपरांत के टिकट पर चुनाव मैदान में खड़ा कर दिया है।
सतपुली की इस नवगठित नगर पंचायत सीट से भाजपा के इतनी सारी बागियों को साधना अब भाजपा के लिए बड़ा सर दर्द हो गया है। हालांकि कांग्रेस से भी बागी प्रत्याशी मंजू मियां और रेनू देवी ने भी कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी के लिए चुनौती खड़ी कर दी है।