कुलदीप एस. राणा
उत्तराखण्ड आयुर्वेदिक विवि के पूर्व कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा की मुसीबतें दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही हैं। एक दिन पहले ही हाइकोर्ट से शासन द्वारा आयुर्वेद विभाग में संबद्धता को निरस्त करवा पुनः बहाली हेतु कोर्ट के आदेश के साथ 27अक्टूबर को विवि पहुंचे मिश्रा को कुलपति अभिमन्यु कुमार ने आदेश की प्रक्रिया अपूर्ण व नियमनुसार न होने के कारण परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया था।
वहीं देर शाम तक शासन ने मिश्रा को कुलसचिव पद से एक बार फिर निलंबित करते हुए पुनःआयुर्वेद विभाग से अटैच कर दिया है।
दूसरी बार मिश्रा के निलंबन व संबद्धता के आदेश पर शासन का कहना है कि कुलसचिव के पद पर पुनः बहाली होने से मिश्रा विवि में अपने विरुद्ध चल रही अनियमितताओं ,नियम विरुद्ध नियुक्ति व घोटालों से संबंधित चल रही विजलेंस जांच को प्रभावित कर सकते हैं। उक्त आदेश में शासन द्वारा फिलहाल मिश्रा के वेतन भत्तों के भुगतान पर भी रोक लगा दी है।
दूसरी तरफ राजधानी देहरादून में सुबह से चल रहे उमेश जे कुमार और अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश के स्टिंग संबंधी हाइवोल्टेज ड्रामे में मृत्युंजय मिश्रा का नाम भी साजिश कर्ताओं में शामिल बताया जा रहा हैं। उक्त प्रकरण के संदर्भ में पुलिस को दी गयी तहरीर में भी मिश्रा का नाम लिखा गया है। जिसके अनुसार मिश्रा मुख्यमंत्री के विरुद्ध साजिशकर्ताओं में शामिल माने जा रहे हैं।
कुल मिलाकर मृत्युंजय मिश्रा प्रकरण एक बार फिर रोचक मोड़ पर आ गया है।