उमेश जे कुमार को गिरफ्तार करने के बाद सरकार की कोशिश अब उमेश की मजबूत घेराबंदी की है। उमेश कुमार पर सरकार ने आनन-फानन में शिकंजा कसने की जो कोशिश की है, वह फिलहाल नाकाफी साबित होती दिखाई दे रही है। लगातार दूसरे दिन पुलिस रिमांड पाने में नाकाम रही है। सचिवालय से लेकर सत्ता के शीर्ष तक इस मुद्दे पर चल रही ताबड़तोड़ कोशिशें ऐसा इशारा कर रही है कि सरकार अब उमेश कुमार पर गैंगस्टर लगा सकती है, ताकि उमेश कुमार एक साल तक जमानत न ले पाए और जेल में ही रहे। सरकार की गैंगस्टर लगाने की मंशा इसलिए है, ताकि उमेश कुमार जमानत पर छूटने के बाद उसके पास जो स्टिंग हैं, उन्हें चलाकर जीरो टोलरेंस वाली सरकार की छिछालेदर न कर दे। सरकार की कोशिश लोकसभा चुनाव तक ऐसे किसी भी तरह के बवाल से बचने की रहेगी।
सूत्रों के अनुसार आधा दर्जन ऐसे लोगों को देहरादून के विभिन्न थानों में उमेश कुमार के खिलाफ मुकदमे दर्ज करवाने के लिए तैयार कर दिया गया है। साथ ही उमेश कुमार के घर में पाई गई अमेरिकन डॉलर और थाईलैंड की करेंसी को उनके विरुद्ध फेमा के तहत फंसाने का जाल भी बुन लिया गया है। जिन मुकदमों में उमेश कुमार पहले फंसाए गए, उसी तरह के मामलों के तहत अब एक बार फिर उनकी घेराबंदी की चर्चा आज दिनभर देहरादून न्यायालय के आसपास जोरों पर है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे रमेश पोखरियाल निशंक ने मुख्यमंत्री रहते उमेश जे कुमार पर तकरीबन एक दर्जन मुकदमे दर्ज करवाए, जो बाद में एक-एक कर खारिज होते चले गए। उस वक्त उमेश कुमार एनएनआई नाम से एक मैसेज सर्विस चलाते थे और उसी से कुपित होकर तत्कालीन मुख्यमंत्री निशंक ने उमेश पर मुकदमे दर्ज करवाए। हद तो तब हुई, जब उमेश कुमार के विदेश में होने के दौरान ही रुड़की में एक व्यक्ति ने उमेश पर जातिसूचक शब्द कहने का मुकदमा दर्ज करवा दिया। इसी प्रकार के मुकदमे बाद में उमेश कुमार के बरी होने में सहायक साबित हुए।
उमेश जे कुमार के खिलाफ मुकदमों की फेहरिस्त इतनी लंबी थी कि निशंक सरकार ने उमेश कुमार को ढाई हजार रुपए का ईनामी बदमाश घोषित कर उसके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर तक जारी कर दिया था। निशंक के मुख्यमंत्री हटते ही जब पहले भुवनचंद्र खंडूड़ी और फिर विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने तो एक-एक कर उमेश कुमार के मुकदमे खारिज होते चले गए।
उमेश कुमार की सत्ता में पैठ तब देखने को मिली, जब शासन गृह तथा अभियोजन द्वारा उमेश कुमार पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने के पुरजोर विरोध के बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट की संस्तुति पर उमेश पर दर्ज मुकदमों को वापस करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।