स्टिंग मामले में भले ही उमेश कुमार उत्तराखंड सरकार के फंदों में फंसा हुआ हो, किंतु उमेश कुमार पर दर्ज किए गए मुकदमे और अब उसकी और अधिक घेराबंदी त्रिवेंद्र रावत के लिए गरम दूध बनता जा रहा है।
त्रिवेंद्र रावत के मुख्यमंत्री बनने के कुछ घंटे बाद जब देहरादून में उमेश कुमार ने अपने बेटे के जन्मदिन की दावत दी तो उत्तराखंड के दर्जनों विधायकों, मंत्रियों के अलावा उस दावत में स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी शामिल हुए। उस दौर में उमेश कुमार भाजपा और भाजपा सरकार की आंखों का तारा बना हुआ था। हरीश रावत का स्टिंग करने के बाद तो भाजपा नेताओं में उमेश कुमार की तारीफ करने की होड़ मच गई थी। उमेश शर्मा के पास भाजपा के सैकड़ों नेताओं की वह रिकॉर्डेड बयान भी मौजूद हैं, जिसमें भाजपा नेता श्याम जाजू से लेकर अजय भट्ट और जिला स्तर के छोटे-बड़े नेता भी उमेश कुमार को उत्तराखंड का हितैषी बता रहे थे। अब भाजपा सरकार के खुद घिरने के बाद जब सरकार में उमेश कुमार की घेराबंदी की है तो सरकार को अभी तक कुछ खास हासिल नहीं हो पाया है।
त्रिवेंद्र रावत के लिए इस मोर्चे पर बहुत सी समस्याएं खड़ी हो गई हैं। सबसे बड़ी समस्या उनके सबसे खास अधिकारी ओमप्रकाश का वह स्टिंग है, जिसे दबाने के लिए उमेश कुमार की धरपकड़ की गई। दूसरी समस्या ओमप्रकाश का वह खास गुर्गा मृत्युंजय मिश्रा है, जिसे त्रिवेंद्र रावत ने पहले मुख्य स्थानिक आयुक्त और फिर आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय का कुलसचिव बनाकर उससे नजदीकियों को बेपर्दा किया। अब यदि मृत्युंजय मिश्रा पर शिकंजा कसते हैं तो मृत्युंजय ओमप्रकाश के राज उगल देगा और यदि नहीं कसते हैं तो जवाब देना मुश्किल हो रहा है कि मृत्युंजय मिश्रा की गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही?
अधिकारियों के अलावा जो सबसे बड़ी समस्या त्रिवेंद्र रावत के लिए है, वे भाजपा के दो बड़े चेहरे हैं। पहला कांग्रेस छोड़कर आए पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, जिन्होंने उमेश शर्मा पर दर्ज मुकदमे समाप्त करने या वापस लेने में उमेश की मदद की। दूसरे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, जिन्होंने उमेश कुमार से मुकदमा वापस लेने के लिए विजय बहुगुणा को प्रबल संस्तुति की। अजय भट्ट द्वारा लिखी गई चि_ी से तो सरकार ही नहीं, पूरा संगठन भी असहज हो गया है। जिस उमेश कुमार को आज वर्तमान में त्रिवेंद्र रावत ब्लैकमेलर और विलेन साबित करने में लगे हैं, अजय भट्ट ने उसी उमेश कुमार के लिए प्रखर पत्रकार, न्याय के लिए संघर्ष करने वाला बताया है।
यही नहीं, अजय भट्ट के अनुसार उमेश शर्मा पर तब दर्ज कराए गए मुकदमे उनके संवैधानिक व प्रातृतिक अधिकारों पर प्रहार करने वाले हैं। अजय भट्ट के अनुसार उमेश कुमार पर ऐसे मुकदमे दर्ज होने से उमेश कुमार को पारिवारिक, मानसिक व आर्थिक नुकसान भी हुआ है। यही नहीं, अजय भट्ट ने उमेश शर्मा पर लगाए गए मुकदमों को उमेश शर्मा को निर्दोष नागरिक व उनके विरुद्ध लगाए गए मुकदमों को विद्वेषपूर्ण बताया है। अजय भट्ट और विजय बहुगुणा द्वारा स्टिंग मास्टर उमेश कुमार के पक्ष में दिए गए निर्णयों से त्रिवेंद्र रावत असहज हैं।
देखना है कि उमेश कुमार पर शिकंजा कसने के लिए त्रिवेंद्र रावत, अजय भट्ट और विजय बहुगुणा की इच्छाओं से इतर क्या रास्ता निकालते हैं?