मुख्यमंत्री जनता दरबार में शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा पंत और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के वाक युद्ध से सरकार की बहुत किरकिरी हुयी । उत्तरा बहुगुणा पंत ने मुख्यमंत्री को आज एक नवंबर 2018 को फिर ललकारा है अपने फ़ेसबुक पर उत्तरा बहुगुणा त्रिवेंद्र रावत पर इस क़दर बरसी- ”मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी, आपके द्वारा शिक्षा विभाग में कार्यरत दो शिक्षिकाओं के लिए, एक्ट की नीति, कानून व्यवस्था, न्याय व्यवस्था और नियम अलग अलग क्यूँ लागू किए गए हैं? मैं बात कर रही हूँ, मैं बात कर रही हूँ, अध्यापिका उत्तरा बहुगुणा ( स्वयं अपनी ) और अध्यापिका सुनीता रावत की।”
1-एक अध्यापिका को पच्चीस साल घर से मीलों दूर रहने और समस्या बताने के बाद भी एक्ट का हवाला देकर निलंबित क्यूँ किया गया, और दूसरी अध्यापिका को एक्ट का उल्लंघन करते हुए, बाईस साल से एक ही विद्यालय में प्रमोशन क्यूँ दिया गया?
2- एक अध्यापिका को विभागीय अधिकारियों की अनुमति न लिए जाने का हवाला देकर और सरकारी कर्मचारियों का जनता दरबार में न आने की पाबंदी का हवाला देकर पुलिस कस्टडी में क्यूँ दिया गया? और दूसरी अध्यापिका की जाँच विभागीय अधिकारियों से न करवा कर, इलाहाबाद पुलिस द्वारा क्यूँ करवाई गई?
3- एक अध्यापिका की जाँच मौखिक और लिखित रूप में समस्त साक्ष्य प्रस्तुत किए जाने के बाद भी चार माह व्यतीत हो जाने के बाद भी जाँच का परिणाम घोषित क्यूँ नहीं किया गया? और दूसरी अध्यापिका की जाँच एक हफ्ते के भीतर कैसे प्रस्तुत की गई?
4- एक संरक्षण विहीन विधवा अध्यापिका के बच्चों के भरण-पोषण के आर्थिक आधार नौकरी को क्यूँ छीन लिया गया? और दूसरी सर्व संपन्न अध्यापिका को बच्चों सहित जनता के रुपयों से विदेश भ्रमण का लाभ क्यूँ दिया गया?
मेरे कहने का तात्पर्य ये नहीं है कि अध्यापिका सुनीता रावत को सुख सुविधाएँ क्यूँ दी जा रही हैं, मेरा कहने का तात्पर्य ये है कि जिस जनता द्वारा आपको और आपके परिवार को ये सुविधाएँ मुहैया कराई है, उनके प्रति आपकी नफरत इतनी पराकाष्ठा तक क्यूँ पहुंच गई है कि आपके द्वारा एक नारी को बेबस और लाचार समझकर, अपमानित करते हुए, ये भी ध्यान में नहीं रहा , कि आज की पढ़ी-लिखी नारी अपनी आवाज उठाने के लिए भी सक्षम है, और कलम उठाने के लिए भी।
मैं बहुत कुछ बर्दाश्त कर रही हूँ, लेकिन बिना सत्य जाने और आँखों देखे सत्य को नकारने वालों द्वारा लिखी गई चाटुकारों की टिप्पणी अब बर्दाश्त नहीं करूँगी।
अत: आपके द्वारा जिस प्रकार जनता दरबार में मुझे निलंबन और गिरफ्तारी के आदेश दिए गए थे। उसी प्रकार मेरी जाँच के आदेश देने की भी कृपा करें। देखना है उत्तरा को सीएम क्या उत्तर देते हैं।