होम्योपैथी निदेशालय के निदेशक डॉक्टर राजेंद्र सिंह आजकल काफी जोश में हैं। पिछले कुछ दिनों में उन्होंने होम्योपैथी को खोया हुआ गौरव लौटाने के लिए काफी प्रयास किए हैं। उनके सबसे ताजे एक्शन के रूप में उन्होंने एक आदेश जारी किया है, जिसके अंतर्गत अब मेडिकल बनवाने के लिए एलोपैथिक तथा आयुर्वेदिक डॉक्टरों के चक्कर काटने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा।
अब होम्योपैथिक डॉक्टर भी मेडिकल और फिटनेस सर्टिफिकेट दे सकेंगे। डॉ राजेंद्र सिंह के अनुसार मरीज को अधिकार है कि जिस भी चिकित्सा पद्धति में वह उपचार करा रहा है, उसी के अनुसार डॉक्टर उन्हें मेडिकल फिटनेस अथवा अन्य प्रमाण पत्र उपलब्ध करा सकेंगे।
गौरतलब है कि होम्योपैथी चिकित्सा व्यवसाय विनियम 1982 के तहत पहले ही डॉक्टरों को यह मान्यता है। इसके संबंध में 22 फरवरी 2016 को भी एक आदेश जारी किया गया था कि पंजीकृत होम्योपैथिक डॉक्टर द्वारा बनाया गया मेडिकल सभी जगह पर मान्य होगा। होम्योपैथिक डॉक्टरों के द्वारा बनाए गए मानसिक आरोग्य प्रमाण पत्र, बीमा ड्राइविंग लाइसेंस और पेंशन आदि से संबंधित प्रमाण पत्र के साथ साथ जन्म मृत्यु और स्कूल कॉलेजों में दिए जाने वाले डॉक्टरों के प्रमाण पत्र आदि सभी जगह मान्य किए जाएंगे।
ड्रग लाइसेंस का अधिकार भी मांगा
इससे चंद रोज पहले ही होम्योपैथी निदेशक डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने ड्रग लाइसेंस जारी करने का अधिकार दिए जाने के लिए स्वास्थ्य महानिदेशक को भी पत्र लिखा। डॉ राजेंद्र सिंह ने होम्योपैथी की दवाइयों के निर्माण और मेडिकल स्टोरों के लिए लाइसेंस जारी करने का अधिकार सिर्फ एलोपैथी के अफसरों के पास होने को लेकर एतराज जताया और मांग की कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के अफसरों को ही उनसे संबंधित दवाइयों के निर्माण और मेडिकल स्टोर रूम का लाइसेंस जारी करने का अधिकार दिया जाए।
डॉ राजेंद्र सिंह कहते हैं कि जब दोनों ही चिकित्सा पद्धति और पाठ्यक्रम बिल्कुल अलग अलग हैं तो फिर एलोपैथी से जुड़े अफसरों के पास यह अधिकार होना अवैधानिक है।
वर्ष 2004 में होम्योपैथी को एलोपैथी से अलग कर दिया गया था किंतु अभी भी सभी अधिकार और शक्तियां एलोपैथी से जुड़े अफसरों ने अपने पास रखी हुई है। यह कैबिनेट के फैसले का भी उल्लंघन है।
होम्योपैथी के डॉक्टरों में यह निदेशक द्वारा उठाए जा रहे इन कदमों के प्रति काफी खुशी का माहौल है और वह उम्मीद जता रहे हैं कि जल्दी ही होम्योपैथी को एलोपैथी के समान ही गौरव हासिल हो सकेगा।