कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड में चर्चित स्टिंग ऑपरेशन किंग उमेश शर्मा को उच्च न्यायालय ने बड़ी राहत दी है और जांच अधिकारी को जवाब देने को कहा है।
उमेश शर्मा के अधिवक्ता गोपाल के.वर्मा ने बताया कि मामला देहरादून स्थित एक भूमि का है जहां विनय मलिक नामक व्यक्ति ने भूमि विवाद के बाद उमेश शर्मा समेत कुल चार लोगों पर धोखाधड़ी और जबरन वसूली का आरोप लगाया था।
उमेश शर्मा के अधिवक्ता गोपाल के.वर्मा ने बताया कि मामला देहरादून स्थित एक भूमि का है जहां विनय मलिक नामक व्यक्ति ने भूमि विवाद के बाद उमेश शर्मा समेत कुल चार लोगों पर धोखाधड़ी और जबरन वसूली का आरोप लगाया था।
याची उमेश शर्मा ने न्यायालय में एफ.आई.आर.क्वेश(खत्म)करने की अपील दायर की थी। पिछले दिनों याची ने आशंका के तहत न्यायालय को बताया था कि सरकार स्टिंग ऑपरेशन से परेशान होकर याची के खिलाफ बी.वारेंट ले सकती है। जांच अधिकारी ने बी वारेंट ले भी लिया जिसपर रोक के लिए उन्होंने उच्च न्यायालय की शरण ली। बी.वारंट के बहाने उमेश शर्मा को रांची से हिरासत में लेने की थी साजिश। उत्तराखंड पुलिस ने देहरादून की निचली आदालत से लिया था बी.वारंट। एक वर्ष पुराने मामले में अब की गई थी एफ.आई.आर.दर्ज। उच्च न्यायालय में बी.वारेन्ट को चुनौती दी गई। आज न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने उमेश शर्मा के खिलाफ जारी बी.वारंट पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने जाँच अधिकारी(आई.ओ.) को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं। एकलपीठ ने जवाब पेश न करने पर जाँच अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होने को कहा है।