जिला सेवायोजन अधिकारी उत्तम कुमार के हौसले आर्थिक अपराध के आरोपों की पुष्टि के बाद भी शासन और सरकार के संरक्षण के चलते बुलंद हैं
पर्वतजन ब्यूरो
उत्तराखंड के सेवायोजन कार्यालय सरकार के लिए सफेद हाथी तो थे ही, अब इनमें कार्यरत अफसर मुसीबत का सबब भी बनते जा रहे हैं। हरिद्वार के सेवायोजन अधिकारी उत्तम कुमार ने अपनी राजनीतिक पहुंच के चलते पूरे सेवायोजन विभाग की नाक में दम कर रखा है।
उत्तम कुमार पर तमाम वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप सिद्ध हो चुके हैं, किंतु शासन इस अधिकारी के सम्मुख बौना साबित हो रहा है। लगभग एक दशक से अपने गृह क्षेत्र हरिद्वार में ही डटा यह अधिकारी स्थानांतरण होने पर राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल करते हुए कई बार ट्रांसफर रुकवा चुका है।
३१ जुलाई २०१२ को उत्तम कुमार का स्थानांतरण नैनीताल किया गया था, किंतु राजनीतिक पहुंच के दम पर उन्होंने १८ सितंबर को यह आदेश निरस्त करा दिया। इस बीच न तो उत्तम कुमार ने नैनीताल में कार्यभार ग्रहण किया और न ही अपने प्रतिस्थानी विजय कुमार सैनी को अपना कार्यभार दिया। स्थानांतरण के बाद वह बिना किसी अवकाश प्रार्थना पत्र लिए अथवा निदेशक को सूचित किए कार्यालय से अनुपस्थित रहे। उनकी अनुपस्थिति में सैनी ने जिलाधिकारी हरिद्वार के हस्तक्षेप से एकतरफा कार्यभार ग्रहण कर लिया। इस बीच उत्तम कुमार ने सीधे श्रम मंत्री और प्रमुख सचिव को प्रत्यावेदन भेजकर अपना स्थानांतरण स्थगित करा दिया।
स्थानांतरण तिथि ३७.०७.२०१२ से १८.०९.२०१२ के बीच कुल ४८ दिन उन्होंने अपने आप को जिला सेवायोजन अधिकारी दिखाते हुए और अपने प्रतिस्थानी सैनी को सहायक सेवायोजन अधिकारी क्लास-3 दिखाकर एक ही पद से दो वेतन टे्रजरी से आहरित करा दिए। कोषागार को भ्रामक सूचना देकर वित्तीय लाभ लेने का यह अपने आप में गंभीर आर्थिक अपराध का विषय है।
उत्तम कुमार की पत्नी लोक सेवा आयोग हरिद्वार में समीक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत है। उत्तम कुमार पत्नी के साथ ही हरिद्वार में रहते हैं, किंतु पत्नी के साथ ही उन्होंने खुद भी किराया भत्ता हासिल किया।
यह मामला पकड़ में आने पर हरिद्वार के वरिष्ठ कोषाधिकारी जयपाल सिंह ने उनका किराया भत्ता बंद करते हुए तत्काल लिया गया भत्ता वापस करने के लिए सेवायोजन कार्यालय को आदेश दिए। उत्तम कुमार ने सितंबर २००९ से लेकर अगस्त २०१२ तक २१०० रुपए के हिसाब से ७५६०० रुपए अवैध रूप से हासिल कर दिए थे, क्योंकि वह स्वयं विभाग के आहरण-वितरण अधिकारी भी थे, इसलिए उन्हें एक ही पद पर दो वेतन तथा अतिरिक्त किराया भत्ता लेने के लिए तत्कालीन जांच अधिकारी/क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी शशिबाला राय शर्मा ने गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का दोषी पाया था तथा शासन को यह संस्तुति की थी कि वित्तीय अनियमितताओं को देखते हुए उत्तम कुमार से आहरण-वितरण का अधिकार तुरंत वापस ले लिया जाए। साथ ही तीन साल तक टे्रजरी व निदेशालय को भ्रम में रखकर जो मकान किराया भत्ता आहरित किया है, उसकी रिकवरी की जाए।
इसके अलावा जांच अधिकारी ने कोषाधिकारी को माह सितंबर २०१२ के वेतन बिल में जो भ्रम की स्थिति बनाकर उनके द्वारा दो-दो अधिकारियों का वेतन एक हैड से लिया गया, उसके संबंध में प्राथमिकी दर्ज कर कार्यवाही करने की संस्तुति की थी।
शशिबाला राय ने उत्तम कुमार को उनके गृह जनपद हरिद्वार से तुरंत अन्यत्र स्थानांतरित करने की संस्तुति भी की थी। इसके अलावा जांच अधिकारी ने उत्तम कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की भी संस्तुति की थी। चमोली में तैनाती के दौरान भी वहां के जिलाधिकारी ने उत्तम कुमार को बिना अवकाश के मुख्यालय से गायब रहने पर निदेशक सेवायोजन और सचिव सेवायोजन से कार्यवाही के लिए ३१.१२.२०१५ को पत्र लिखा था। इस पर शासन के संयुक्त सचिव और अपर सचिव ने निदेशक को निर्देश दिए थे कि इनके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाए, किंतु उत्तम कुमार का बाल बांका भी नहीं हो सका।
इसके अलावा वर्ष २००८ में उत्तम कुमार ने विशिष्ट सेवायोजन कार्यालय (विकलांग) की स्थापना हेतु ५.५ लाख की धनराशि को फरवरी २००८ को बिना विभागाध्यक्ष की अनुमति के निजी बैंक के व्यक्तिगत खाते में जमा करा दिया। जिससे यह पैसा पूरा वित्तीय वर्ष खत्म होने के बाद भी खर्च नहीं किया गया। इस पर तत्कालीन निदेशक एनके जोशी ने जुलाई २०१० में इनको कठोर चेतावनी भी दी थी।
क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी देहरादून ने उत्तम कुमार की गोपनीय चरित्र प्रविष्टि वर्ष २००८ से २००९ तक में उत्तम कुमार की सत्यनिष्ठा को संदिग्ध की श्रेणी में अंकित किया और इनकी चरित्र प्रविष्टि में साफ लिख दिया कि उत्तम कुमार की सत्यनिष्ठा संदिग्ध है और इसलिए प्रमाणित नहीं की जा सकती।
प्रतिकूल प्रविष्टि देते हुए उन्होंने लिखा था कि उत्तम कुमार ११.१०.२००८ से २१.१०.२००८ तक ११ दिन बिना अवकाश के अनुपस्थित रहे और उक्त अवधि का वेतन भी बिना अवकाश स्वीकृत कराए उन्होंने आहरित कर लिया।
इसके अलावा विशिष्ट सेवायोजन कार्यालय का पैसा खर्च न करने पर भी उन्हें प्रतिकूल प्रविष्टि जारी की गई।
हरिद्वार और चमोली के जिलाधिकारियों ने भी उत्तम कुमार के खिलाफ अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी हैं, किंतु बिना अवकाश के गायब रहने और तमाम वित्तीय अनियमितताओं के बावजूद शासन के संरक्षण के दम पर उत्तम कुमार जैसे अधिकारी विभाग पर बोझ बने हुए हैं।
शशिबाला राय ने उत्तम कुमार को उनके गृह जनपद हरिद्वार से तुरंत अन्यत्र स्थानांतरित करने की संस्तुति भी की थी। इसके अलावा जांच अधिकारी ने उत्तम कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की भी संस्तुति की थी।