सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय से चले आ रहे सुभारती मेडिकल कॉलेज के छात्रों के मामले में एक बड़ा फैसला दिया है। सरकार के एडवोकेट जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि सुभारती मैनेजमेंट भूमिका स्वामी नहीं है और इस भूमि पर सुभारती प्रबंधन के साथ मनीष वर्मा का विवाद चल रहा है और यह मामला कोर्ट में लंबित है, लिहाजा राज्य सरकार इस कॉलेज को टेकओवर नहीं कर सकती।
राज्य सरकार के यह कहने के बाद सुप्रीम कोर्ट हैरान रह गया। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने के आदेश दिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि पहले सरकार ने टेकओवर करने की बात क्यों कही थी और बाद में क्यों मना कर दिया !
गौरतलब है कि पर्वतजन ने पहले ही इस बात के प्रति सरकार को आगाह कर दिया था कि सुभारती का स्वामित्व मनीष वर्मा के साथ विवादों में होने के कारण सुभारती को टेकओवर करने का सरकार का फैसला उल्टा पड़ सकता है और हुआ भी यही।
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गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिसंबर 2018 को उत्तराखंड सरकार को आदेश दिए थे कि कॉलेज को सील कर दिया जाए और राज्य सरकार इस पर कब्जा ले ले, क्योंकि खुद ही राज्य सरकार ने कहा था कि वह कॉलेज संचालित करना चाहती थी।
बड़ा सवाल यह है कि पहले भी सरकार के संज्ञान में यह बात थी कि मेडिकल कॉलेज की भूमि का स्वामित्व विवाद मनीष वर्मा के साथ चला आ रहा है तो फिर राज्य सरकार को तभी अपने हाथ पीछे खींच लेने चाहिए थे। बहरहाल इस मामले में उत्तराखंड सरकार की काफी छवि खराब हुई है।
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि सुभारती की 9.50 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी जफ्त करके छात्रों की फीस और सिक्योरिटी मनी वापस कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुभारती स्कूल के 300 एमबीबीएस छात्रों को मेरिट के आधार पर राज्य के ही 5 मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट कर दिया जाए। इस मामले में राज्य सरकार और एमसीआई ने अपनी सहमति व्यक्त की है।