अगले महीने आचार संहिता लग जाएगी, किंतु हमारे लोकप्रिय सांसदों ने अभी तक आधी से अधिक निधि खर्च ही नहीं की है।
ऐसे में समझा जा सकता है कि हमारे सांसद राज्य के विकास के प्रति कितने गंभीर हैं !
आरटीआई एक्टिविस्ट नदीम उद्दीन ने इसका खुलासा किया है। गौरतलब है कि सांसदों को प्रतिवर्ष 5 करोड रुपए सांसद निधि के रूप में मिलते हैं। लेकिन दिसंबर 2018 तक पांचों के 125 करोड़ में से कुल 77.5 करोड रुपए ही जारी हो सके थे। अर्थात 47.50 करोड रुपए तो जारी ही नहीं हुए तो फिर खर्च कहां से होते !
यही नहीं सांसद निधि से स्वीकृत 3790 कार्यों में से केवल 2625 कार्य ही पूर्ण हुए हैं। 445 कार्य तो अभी तक आरंभ ही नहीं हुए।
हरिद्वार के सांसद डॉ रमेश पोखरियाल ने कुल 2590.88 लाख रुपए की सांसद निधि में से केवल 1327.48 लाख ही खर्च किए हैं।
पौड़ी के सांसद बी सी खंडूरी ने तो केवल 29% ही खर्च किया है। खंडूरी की सांसद निधि 2521.45 में से केवल 1271.45 लाख ही खर्च हुए हैं।
अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा की सांसद निधि 2632.74 में से केवल 32% ही खर्च हुआ। टम्टा 839.20 लाख रुपए ही खर्च कर पाए।
नैनीताल लोकसभा सीट के सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने 2542.88 लाख की सांसद निधि में से 1646.48. लाख रुपए खर्च किए हैं।
टिहरी की सांसद राज्य लक्ष्मी शाह ने 2596.50 में से केवल 52% ही खर्च किया है राज्य लक्ष्मी ने 2596.50 लाख में से 1340.999 रुपए की खर्च किए हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में भाजपा के दिग्गज नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए राजनीति करते रहते हैं, लेकिन जो दायित्व उन्हें सौंपा गया है, उसका निर्वहन करने में रुचि नहीं दिखाते। यही कारण है कि सांसद निधि आधा भी खर्च नहीं हो पाती।
एक ओर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह डबल इंजन की सरकार को फास्ट ट्रेक पर दौड़ाने की बात करते हैं, वहीं सांसदों की सुस्ती का यह आलम सोचनीय है।