नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर गठित हो चुकी है प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति
एमसीआई व सुप्रीम कोर्ट की भी है गाइड लाइन: काउंसलिंग से पहले ही तय होनी चाहिए सीटें और शुल्क
मार्च में पीजी की काउंसलिंग संभावित, लेकिन अभी तक शुल्क निर्धारण पर नहीं कोई फैसला
मेडिकल कॉलेजों के लिए आखिर कब खत्म होगा फीस निर्धारण का इंतजार
देहरादून। नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य के मेडिकल कॉलेजों के कोर्सेज की फीस निर्धारित करने के लिए प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति का गठन हो चुका है। फीस निर्धारण को लेकर बनाया गया पैनल बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। परेशानी यह है कि मार्च महीने में पीजी सीटों की काउंसलिंग होनी है। ऐसे में यदि इस बार भी समय रहते प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति फीस का निर्धारण समय से नहीं करती है तो मेडिकल कॉलेज और छात्र-छात्राएं एक बार फिर आमने-सामने होंगे और पिछले सालों की तरह इस बार भी टकराव और भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी।
पिछले सालों में उच्च शिक्षा विभाग अपने स्तर से प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति गठित करता आया है। पिछले वर्ष समिति के अध्यक्षों के चयन पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई थी। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इस साल राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय नैनीताल से ही समितियों के लिए दो नाम मांगे थे। हाईकोर्ट से नाम मिलने के बाद जस्टिस कुलदीप सिंह को प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति का अध्यक्ष व जस्टिस सुरेन्द्र सिंह पाल को अपीलीय समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। देखने वाली बात यह होगी कि नए अध्यक्ष मिलने के बाद क्या नई समिति काउंसलिंग से पहले फीस निर्धारित कर पाएगी। गौर करने वाली बात यह है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इण्डिया का यह कड़ा नियम है कि काउंसलिंग से पहले ही सीट और शुल्क दोनों आवश्यक रूप से तय हो जाने चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट भी राज्य सरकारों को जोर देकर यह कहता रहा है कि काउंसलिंग से पहले ही सीटें और शुल्क तय हो जाने चाहिए।
गत वर्ष पीजी काउंसलिंग में शुल्क तय नहीं था, इसलिए सभी सीटों पर दाखिला लेने वाले छात्रों से शपथ पत्र लेकर काउंसलिंग करा दी गई थी। अब तक यह छात्र शपथ पत्र के आधार पर ही पढ़ाई कर रहे हैं। शपथपत्र में भी छात्रों ने यह लिखकर दिया है कि सरकार जो फीस निर्धारित करेगी, वे निर्धारित फीस छात्र-छात्राएं अदा करेंगे। लंबा समय बीत जाने के बाद भी सरकार अभी तक शुल्क तय नहीं कर पाई है। ऐसे में बिना शुल्क निर्धारण किए काउंसलिंग कराना मुश्किलों भरा हो सकता है। मेडिकल कॉलेज भी राज्य सरकार से फीस निर्धारण की मांग करते आ रहे हैं। नई प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति के अस्तित्व में आने के बाद यह उम्मीद जरूर बंधी है कि इस बार समय रहते फीस निर्धारण का मुद्दा सुलझा लिया जाए, क्योंकि सरकार भी नहीं चाहती कि इस मुद्दे पर सरकार कीे किरकिरी हो या सरकार को कोई नया बवाल झेलना पड़े।
”एमबीबीएस व पीजी कोर्सेज की फीस को लेकर हम लंबे समय से मांग करते आ रहे हैं। प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति के गठन के बाद उम्मीद बंधी है कि इस बार काउंसलिंग से पहले फीस निर्धारित हो जाएगी। हम सरकार से यही आग्रह करते हैं कि काउंसलिंग से पहले फीस का निर्धारण कर लिया जाए।”
– अनिल कुमार मेहता, प्राचार्य, एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज