विनोद कोठियाल
हरिद्वार वन प्रभाग में रसिया बड़ रेंज के रेंजर प्रदीप कुमार उनियाल पर कैंपा योजना के अंतर्गत वर्षा जल संरक्षण, लैंटाना उन्मूलन के नाम पर लाखों रुपए की वित्तीय अनियमितता करने के आरोप लगे हैं।
बाकायदा यह दस्तावेज सूचना के अधिकार के अंतर्गत आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार जैन ने हासिल किए हैं।
वन क्षेत्राधिकारी श्री उनियाल ने 31 लाख 71000 का नगद भुगतान दिखाया है, जबकि उत्तराखंड शासन के स्पष्ट निर्देश है कि भुगतान केवल बैंक ट्रांसफर अथवा चेक के माध्यम से ही किया जाए।
रेंजर ने नलोवाला इलाके में चेक डैम तथा वर्षा जल संरक्षण के नाम पर मजदूरों को 9000 से लेकर 14000 तक के भुगतान कर डाले। यह सभी भुगतान नगद में किए गए हैं।
उत्तराखंड प्रोक्योरमेंट नियमावली का उल्लंघन करते हुए साढे चार लाख रुपए का नगद भुगतान भी कर दिया। इसी इलाके में वर्षा जल संरक्षण के लिए बिना कोटेशन, टेंडर के 7 लाख30हजार 400 रुपये का कार्य कराया गया। इसमें भी नगद भुगतान किया गया।
भुगतान के दस्तावेजों में श्रमिकों का पता भी नही दिया गया है और निर्माण कार्य की स्वीकृति किस स्तर से ली गई इसका भी कोई जिक्र नहीं है।
इससे ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा है कि इस धन से कोई भी कार्य नहीं हुआ बल्कि केवल कागजों में कार्य दिखा कर लाखों रुपए की बंदरबांट कर ली गई।
लाखों रुपए के इस घोटाले में वन आरक्षी से लेकर वन दरोगा और प्रभागीय वन अधिकारी की भी संलिप्तता दिखाई पड़ रही है। भुगतान के दस्तावेजों में इन सभी ने आंख मूंदकर हस्ताक्षर किए हुए हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट विनोद कुमार जैन ने सभी दस्तावेजों सहित इस पूरे घोटाले की शिकायत प्रमुख वन संरक्षक जयराज से लेकर मुख्यमंत्री तक से कर दी है।
प्रदीप उनियाल का कहना है कि वन विभाग में इसी तरह से काम और भुगतान होता है, लिहाजा उन्होंने कोई गलत नहीं किया।
बार बार वन विभाग मे नकद भुगतान पर शिकायतों के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होने से बड़े अधिकारियों की भी इसमे सीधी संलिप्तता होने से इनकार नहीं किया जा सकता। बहरहाल देखना यह है कि इस शिकायत पर क्या कार्यवाही होती है।