भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है ।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने उन्हें अनुशासनहीनता के चलते 6 साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है। हालांकि कुछ लोग इस निष्कासन को भी संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं। चैंपियन को अनुशासनहीनता का कारण बताने के लिए पहले 20 तारीख तक का समय दिया गया था। अब समय से पहले उनके निष्कासन से यदि चैंपियन पार्टी बाइलॉज के अनुसार कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं तो उनकी सदस्यता बहाल हो सकती है। भले ही पार्टी फिर भविष्य में उन्हें टिकट ना दे और यदि चैंपियन इस निर्णय के खिलाफ अपील न करें तब भी वह चाहे तो कांग्रेस या बसपा जैसी किसी भी पार्टी में जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
अब उन पर दल बदल कानून भी लागू नहीं होगा तथा उनकी विधायकी को भी कोई खतरा नहीं है।
निष्कासन पर उठे सवाल
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन का उत्तराखंड को गाली देने वाला एक वीडियो वायरल हुआ था जिससे उत्तराखंड के जनमानस में काफी आक्रोश था। भाजपा ने कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और उन्हें जवाब देने के लिए 20 तारीख तक का समय दिया गया था।
चैंपियन को निष्कासित किए जाने से उनके समर्थक सकते में हैं। समर्थकों का कहना है कि खुद को लोकतांत्रिक मूल्यों वाली पार्टी का दावा करने वाली भाजपा को कम से कम प्रदत्त समय का इंतजार तो करना ही चाहिए था, उसके बाद चाहे जो निर्णय लेती उसके लिए पार्टी स्वतंत्र थी।”
चैंपियन के समर्थकों का कहना है कि जिस वीडियो के कारण उनको निष्कासित किया जा रहा है, वह वीडियो कांग्रेस के जमाने का है।
“जब चैंपियन कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे तो तमाम अच्छाइयों और बुराइयों के साथ ही भाजपा ने उन्हें अंगीकृत किया था और भाजपा को तब चैंपियन के इतिहास से कोई लेना देना नहीं था, अब अचानक इस पुराने वीडियो के चलते उनको निष्कासित किया जाना न्याय संगत नहीं है।”
चैंपियन के समर्थक दावा करते हैं कि भाजपा में आने के बाद उन्होंने ऐसा कोई भी कृत्य नहीं किया जो भाजपा की रीति नीति के विपरीत हो और वह पार्टी का तथा पार्टी के निर्देशों का हमेशा सम्मान करते रहे हैं।
यदि अन्य कोई कारण नहीं है तो चैंपियन को 20 तक का समय देने के बाद अब चार दिन पहले ही निष्कासित करने में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा जल्दबाजी या थोड़ी रणनीतिक चूक जरूर हो गई है, जिसकी प्रतिक्रिया अभी भविष्य के गर्भ में है।
चैंपियन के निष्कासन की खबर से जहां उत्तराखंड आंदोलनकारियों में खुशी की लहर है, वहीं चैंपियन समर्थकों के चेहरे पर निराशा छा गई है।