देहरादून। शुक्रवार को हुए धरना-प्रदर्शन के बाद निर्णय लिया गया है कि शनिवार पूर्वाहन 11 बजे ‘सूचना विभाग की दमनकारी नीतियों के खिलाफ बुद्धि शुद्धि यज्ञ’ सूचना भवन के समक्ष किया जाएगा। इस अवसर पर सभी पत्रकार बंधुओं से अनिवार्य रूप से शामिल होने की अपील की गई है।
शुक्रवार को ‘ताला और माला आंदोलन’ में 70 से अधिक पत्रकारों ने उपस्थिति दर्ज कराकर यह संदेश दे दिया है कि पत्रकारों के साथ सौतेला व्यवहार किसी भी हाल में अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पत्रकारों की एकजुटता का ही परिणाम रहा कि शुक्रवार को जब सूचना विभाग के कर्मचारी ऑफिस पहुंचे और गेट पर ताला जड़ा देखा तो किसी ने भी उसे खुलवाने की कोशिश तक नहीं की। कारण साफ था कि वे पत्रकारों की एकता को भांप चुके थे और उन्होंने पत्रकारों को छेडऩे की बजाय चोर दरवाजे(पिछले दरवाजे) से ऑफिस में प्रवेश करना बेहतर समझा।
शुक्रवार का आंदोलन काफी गर्मजोशी भरा रहा। मसूरी के कार्यक्रमों में व्यस्त होने के बावजूद पूरी सरकारी मशीनरी और मंत्रालय में काफी हलचल रही। सोशल मीडिया में इस आंदोलन को कल्पना से भी अधिक तवज्जो मिलने से सभी पत्रकारों का काफी हौसला बढ़ा और पत्रकारों की जायज मांगों पर सरकार की तानाशाही और दमनकारी नीतियों की काफी आलोचना हुई है। जिससे सरकार की भी प्रदेशभर में खूब किरकिरी हो रही है।
कई घंटे चले धरने के बाद मांग पत्र लेने के लिए संयुक्त निदेशक तथा अपर निदेशक सूचना अनिल चंदोला और राजेश कुमार धरना स्थल पर आए और पत्रकारों की जायज मांगों को लेकर की जा रही कार्यवाही से अवगत कराया गया।
शुक्रवार का आंदोलन फिलहाल शनिवार सुबह तक के लिए स्थगित किया गया है तथा यह निर्णय लिया गया कि यदि आज पत्रकारों की मांगों को स्वीकार करके कार्यवाही का आश्वासन मिल जाता है तो सभी पत्रकार कल धन्यवाद और आभार के लिए फिर से सूचना भवन पर एकत्रित होंगे। अन्यथा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम ‘सूचना विभाग की दमनकारी नीतियों के खिलाफ बुद्धि शुद्धि यज्ञ’ सुबह 11 बजे सूचना भवन पर आयोजित किया जाएगा। सभी पत्रकार साथियों से आह्वान किया गया है कि इस ‘बुद्धि शुद्धि यज्ञ’ में अपनी पावन आहुति देने के लिए जरूर एकत्रित होंगे।
इस मौके पर सभी साथियों, लघु समाचार पत्रों, न्यूज पोर्टल व विभिन्न यूनियनों व अन्य संस्थानों से जुड़े सभी पत्रकारों से एकजुटता के लिए विशेष अनुरोध किया गया है कि इस अवसर पर अधिक से अधिक पत्रकार अपनी उपस्थिति जरूर दर्ज कराकर सरकार व सूचना विभाग को यह एहसास कराएं कि उनकी अनदेखी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।