सरकार द्वारा पत्रकारों के खिलाफ चलाई जा रही दमनकारी नीति के विरोध में पत्रकारों ने शाम 7:00 बजे देहरादून के गांधी पार्क से घंटाघर स्थित उत्तराखंड आंदोलनकारी स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमा स्थल तक मशाल जुलूस निकाला। पत्रकार अपने हाथों में मशाल और नारों की तख्तियां उठाए हुए थे।
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प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक तथा वेब मीडिया से जुड़े लगभग 70 से अधिक पत्रकारों ने दो पंक्तियों में नारेबाजी करते हुए जुलूस शुरू किया तो राजपुर रोड की व्यस्त सड़कें भी चौंक कर जुलूस की तरफ देखने लगी।
जुलूस जब घंटाघर के पास स्थित स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी के प्रतिमा स्थल तक पहुंचा तो जुलूस एक सभा में बदल गया। सभा में पत्रकारों की 11 सूत्री मांगों से संबंधित ज्ञापन पढ़ा गया तथा इन मांगों के पूरे होने तक आंदोलन को प्रतिदिन और तेज करने का संकल्प जाहिर किया गया।
वापसी में जुलूस फिर से गांधी पार्क पहुंचा और यहां पर वरिष्ठ पत्रकार जीत मणि पैन्यूली ने अपने संबोधन में इतिहास में दर्ज उत्तराखंड के पत्रकारों के संघर्षों को याद किया तथा युवा पत्रकारों में काफ़ी जोश भरा।
गौरतलब है कि उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने युवा पत्रकारों को पन्ना प्रमुख तैनात करके काफी सफलता प्राप्त की। युवा पत्रकारों ने गंभीरता से काम किया और कुछ ही घंटे बाद शाम के जुलूस मे इसका असर दिख गया।
स्थानीय प्रिंट मीडिया के काफी पत्रकार पहली बार आंदोलन में शामिल हुए और उन्होंने मांगे पूरी न होने तक संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर चलने का संकल्प जाहिर किया।
इस मशाल जुलूस के दौरान हालांकि अच्छी खासी संख्या में पुलिस बल भी मौजूद था लेकिन बुद्धिजीवी वर्ग के इस जुलूस की पुलिस अफसरों ने भी भूरी भूरी प्रशंसा की।
एक सप्ताह से चल रहे इस आंदोलन का इतना तो असर हो ही गया है कि सभी जिलों में संचालित मीडिया की खोज खबर लेने के लिए सरकार के निर्देश पर संबंधित जिलों के सूचना विभाग हरकत में आ गए हैं। अब सभी पत्रकारों को उनके द्वारा संचालित मीडिया की रिपोर्ट ली जा रही है।
सत्ता के गलियारों में मची हलचल से संभवत एक-दो दिन में सरकार पत्रकारों की मांगे मान सकती है।