पर्वतजन के पाठकों को याद होगा कि एक साल पहले एक जुलाई 2018 को रविवार के दिन पौड़ी में एक भीषण बस हादसा हुआ था, इसमें नैनीडांडा रोड पर 47 लोग बस के खाई में गिरने से मौत के शिकार हो गए थे। इस दर्दनाक हादसे में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाथों हाथ गहरी संवेदना और दुख व्यक्त करते हुए प्रत्येक मृतक को दो-दो लाख मुआवजा देने का ऐलान किया था। साथ ही कहा था कि घायलों को 50-50हजार दिए जाएंगे तथा उनका इलाज का खर्च सरकार उठाएगी।
ठीक एक साल बाद आज टिहरी लंबगांव में एक स्कूल मैक्स के खाई में गिर जाने के कारण स्कूल जाने वाले 9 बच्चों की मौत हो गई तथा 9 बच्चों को अस्पताल में घायल अवस्था में भर्ती कराना पड़ा किंतु आज हादसे के 9 घंटे बाद भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मृतकों को मुआवजे के नाम पर खामोश हैं।उन्होंने कोरी संवेदनाएं प्रकट की।
यहां तक कि जब मीडिया ने आज मुख्यमंत्री से मुआवजे के बारे में पूछा तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो टूक कह दिया कि जो भी आवश्यक है, वह किया जाएगा। किंतु मुआवजे के सवाल को लेकर उन्होंने कोई जबाब नहीं दिया।
जब मुख्यमंत्री के मीडिया कोआर्डिनेटर दर्शन सिंह रावत से पत्रकारों ने पूछा तब भी उन्होंने किसी भी तरीके की मुआवजे की जानकारी होने से इंकार कर दिया।
यह अपने आप में एक गंभीर विश्लेषण का विषय तो जरूर है कि आखिर मुख्यमंत्री इस हादसे में मौत का शिकार बने बच्चों के बारे में कोई मुआवजे का ऐलान क्यों नहीं करना चाहते ! क्या खजाने का मुंह तंग हो गया या दिल छोटा हो गया। कुछ तो तंग हो गया। या तो धन का जरिया तंग हो गया, या दुर्घटना को देखने का नजरिया तंग हो गया।
कारण चाहे जो भी हो लेकिन जब जनता को इस विषय में पता चलेगा तो सवाल उठने लाजमी हैं कि आखिर 9 घंटे बाद भी पौड़ी की तरह के मुआवजे का ऐलान आखिर मुख्यमंत्री ने किया क्यों नही।
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