उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय अराजकता का अड्डा बना।
काउंसलिंग में देरी करके निजी विश्वविद्यालयों को फायदा पहुंचाया गया। ताकि पहले सरकारी की बजाए निजी विश्वविद्यालयों की सीटें भर जाए।
लेकिन इसके विभागीय मंत्री जो कि स्वयं मुख्यमंत्री हैं, उन की जुबान से एक शब्द तक नहीं निकलता, स्टूडेंट्स का भविष्य अधर मे। आज तक सीएम ने इस विश्वविद्यालय का नाम माधो सिंह के नाम पर बदलने के अलावा कुछ और कहा हो, याद नही पड़ता।
उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा अधूरी तैयारी के साथ शुरु किया UKSEE counselling।
यु टी यू की 5 August 2019 से शुरु होने वाली uksee counseling का notification UTU ki website uktech.ac.in और सभी दैनिक समाचार पत्रों मे सभी आवेदकों को सूचना विज्ञप्ति जारी की गई लेकिन जब tayari पूरी नही थी तो प्रैस note क्यों दिया गया….
7 अगस्त तक counseling का link कहीं publish नही हुआ था। आवेदक यहां वहां भटकते रहे।
सरकारी सीटों के लिए अगस्त तक wait करने के बाद भी counseling नही हो रही समय से। जबकि counseling तीन चरणों मे आयोजित होती है। प्रथम का पता नही दूसरी तीसरी का तो भगवान भरोसे है।
आखिर कब counseling पूरी होगी !
आखिर कब छात्रों का सत्र शुरु होगा !
क्या ये सरकारी कॉलेज मे admission लेने वाले बच्चो के साथ हो रहा खिलवाड़ हो रहा है आखिर ये होनहार बच्चे कब admission लेंगे।
या इसके पीछे कोई खिचड़ी पक रही है यह कोई बडा setting getting का षड़यंत्र है या प्राइवेट कॉलेजों के साथ मिली भगत है।
आपको बता दे aicte के notification अनुसार प्रत्येक course/branch मे 30सीट कम से कम भरी होनी चाहिये अन्यथा कम होने पर वह course/branch बन्द कर दिया जायेगा।private कॉलेज मे seats भरना मुश्किल होता है इसके विपरित
जबकी सरकारी seats को प्राथमिकता मिलती है व जल्दी भर जाती है।
विलम्ब counseling होने से सरकारी कॉलेजो मे सीट भरने से पहले प्राइवेट की सीट भर जाती है।
आखिर ऐसा क्यों !
आखिर क्यों यू टी यू मे विलम्ब counseling आयोजित की गयी जबकी यह प्रक्रिया हर साल होती है जिसकी तैयारी feb मार्च से शुरु हो जानी चाहिये मई मे exam और जून मे counseling आयोजित होनी चाहिये ।
क्या तकनिकी विश्वविद्यालय को डुबोने को बैठे हैं उच्च अधिकारी…. क्यों समय से आयोजित नही होती counseling प्रक्रिया…..
JEE mains की COUNSELING nic द्वारा ukcounseling.nic.in वेबसाइट से होता है uksee utu अपने स्तर पर करवाती है ऑनलाइन counseling क्या ऑनलाइन couseling को आयोजन के लिए भीतर घाती आपसी लड़ाई के कारण विलम्ब और अस्त व्यस्त प्रक्रिया होती है या हर बार कमाई का जरिया बना दिया है counseling।
आखिर यू टी यू कब तक छात्रों के साथ खिलवाड़ करेगा
कभी परीक्षा विभाग मे coding व गोपनीय कार्य बाल श्रमिको से करवाते है तो कभी परिक्षा मे प्रश्न पत्रों को पुराने syllabus का छाप देते है जिससे परीक्षा विलम्ब होती है कभी परीक्षा पत्र ही समय से नही पहुंचता है।
परीक्षा का रिजल्ट ही इतना late आता है कि मेधावी छात्रों को बहुत जूझना पड़ता है।
इसी तरह हर साल utu मे संचालित course के syllabus भी मौसम परिवर्तन या कह लिजिये जिस प्रकार तेजी से यू टी यू के कुलपति बदलते हैं इसी हिसाब से course का syllabus हर vc apne अपने अनुसार पता नही क्या सोचकर बदलते रहते है …… ये कैसा updgradation है।
अभी हाल ही का मामला है utu के कुलपति द्वारा new syllabus website मे डलवा दिया जाता है और उसमे new modified syllabus मे परिवर्तन के साथ पर्यावरण subject ही हटा दिया जाता है और जब सवालों के घेरे मे आते है फ़िर पल्ला झाड़ते हुये कहते है draft था फाइनल Board of studies के अनुसार डाला जायेगा। भई तो वेबसाइट मे डलवाने की आवश्कता क्यों थी ! क्या दिखाना चाहते है कुलपति !!
इसी तरह कुछ माह पहले utu की website मे teachers की भर्ती हेतु notification आया लेकिन दो दिन बाद हट गया । क्योंकि सवालो के घेरे मे आया।
जिस तरह का advertisement आया था वह घोटाले के तहत आया कि utu सीधी भर्ती अपने स्तर पर आयोजित करवा रहा था जिसके लिए शसान द्वारा अनुमति ली गयी थी।
जबकी utu act अनुसार इसके विपरीत था। जिसमे लिखा था utu मे भर्ती लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जायेगी। बड़ा भर्ती घोटाला होने को तैयार था।
इसी प्रकार utu act को हमेशा दर किनार करते हुये ये विश्व बैंक योजना द्वारा करोडो रुपये के घोटाले के चलते utu के अपने निजी संघटक सस्थानों को निदेशकों द्वारा acs ओम प्रकाश के साथ मिली भगत करके अलग थलग किये गये।
प्रकाश डालना चाहते है कि utu के 6 constituent कॉलेज खोले गये थे जो utu की स्वपोषित विश्वविध्यालय हेतु आय श्रोत के रूप मे खोले गये थे ugc guideline व utu act अनुसार constiutent कॉलेज university द्वारा manage होते है कुछ साल तो यही नियम लागू हुआ परंतु जब विश्व बैंक द्वारा teqip project से प्रतेक सस्थान को 10-10 करोड रुपये मिले तो निदेशको की नियत खराब हो गयी।
university के अधीन vc finance controller , exam controller, registrar इत्यादि से होकर फ़ाईल जायेगी और FC आपति लगा देते उससे पहले निदेशकों द्वारा हर सस्थान की अलग bog बना दी गयी अपने अपने निजी मंसूबो को पूरा करने के लिए और acs के साथ मिलकर अलग bog बनाकर पैसों को ठिकाने लगाने लगे बेतहाशा पैसा उपकरणों व अन्य पर लगाया गया। सस्थनो द्वारा teqip प्रोजेक्ट की bog को संस्थान की bog बताकर पैसो की हेरा फेरी हुई है जिसमे sit pithoragadh की recovery ओर्डर हुये है, wit देहरादून मे teqip पैसो के घपले घोटाले की जांच राज्यभवन द्वारा की जा रही है।
जबकि university act अनुसार executive committee ही सभी संस्थानो की निर्णायक समिति होती है।
आखिर क्यो तकनिकी शिक्षा हर बार सवालों के घेरे मे आता है
क्यों वहां के अधिकारी आपसी लड़ाई मे छात्रों का नुकसान करते हैं।
क्या utu आपसी लड़ाइयों का खुला अखाड़़ा है !
जबकि विश्वविद्यालय सीधे माननीय कुलाधिपाती/राज्यपाल के अधीन होता है। इसी के साथ वर्तमान मे माननीय मुख्यमंत्री ने स्वयं तकनीकी शिक्षा अपने पास रखी है।
फ़िर भी कोई इसका संज्ञान नही लेता।
सदैव utu सुर्खियों मे रहता है। कभी भर्ती प्रक्रिया,कभी counseling, कभी परीक्षा, कभी अधिकारियों की आपसी लड़ाई कभी कुछ, कभी कुछ। लेकिन इसके विभागीय मंत्री अर्थात सीएम धृतराष्ट्र बने बैठे हैं।