देहरादून : पर्वतजन : हाल ही में सचिव वित्त अमित नेगी का बयान सभी समाचारपत्रों की सुर्खियों में रहा कि सरकार को 300 करोड़ पुनः उधार लेना पड़ रहा है क्योंकि वितीय स्थिति राज्य की ठीक नही पर क्या कभी हम सबने सोचा है कि ऐसी नौबत क्यों आती है ?
इसका एक उदाहरण हम आपको देते है वो है सरकार की दरियादिली का।
चाहे MBBS में फर्जीवाड़ा हो या छात्रों व अभिभावकों की सैकड़ों शिकायत और अब तो सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने खुद सुभारती मेडिकल कॉलेज देहरादून की खुद 97 करोड़ (लगभग 1 अरब रुपये ) की रिकवरी निकली हुई है और रिकवरी निकाले 6 माह से अधिक हो गए और बार बार सुभारती को मौका दिया जा रहा है बच के निकलने का पर शुक्र है खुदा का कि 7 अगस्त को हाई कोर्ट की डबल बेंच ने भी सुभारती को कोई राहत नही दी और 25 करोड़ जमा कराने का अंतिम दिन भी निकल चुका है और अब सुभारती को एकसाथ 97 करोड़ 16 लाख जमा करने होंगे।
सवाल यह है कि आम आदमी के बिजली का 10000 का भी बिल हो या पानी का या हाउस टैक्स तो सरकार फटाफट वसूली निकाल कर अमीन और तहसीलदार को भेज कर हवालात में रख देती है और 97.16 करोड़ के देनदार पर कोई कार्यवाही नही की जाती है।
यहाँ तक कि आज सोशल मीडिया में यह खबर भी वायरल हो गयी कि सुभारती के संचालक मौके से महंगी मशीने व अन्य महंगा सामान चुपचाप उठा कर ले जा रहे है तब भी शासन प्रशासन खामोश तमाशा देख रहा है।
जब इस प्रदेश में मुख्यमंत्री के विभाग का ये हाल है कि इतना बड़ा फर्जीवाड़ा करके सरकार पर 300 MBBS के छात्रों का बड़ा भार पड़ गया हो और अपराधियों पर कोई कार्यवाही करने की बजाय सामान उठाकर ले जाने की छूट दी जा रही है जबकि अब तक तो सरकार को सारी संपत्ति सील कर देनी चाहिए थी और सरकार के पास तो तहसीलदार की रिपोर्ट भी है जिस आधार पर पहले भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील व कब्जा लिया गया था तो क्यों अपराधियों को भागने का मौका दिया जा रहा है ? यह मुख्यमंत्री के विभाग पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।