लूसुन टोडरिया
उत्तराखंड के युवाओं के ऊपर गिरा एक और बम ।
अभी उत्तराखंड का युवा कोऑपरेटिव बैंक में आवंटित परीक्षा केंद्रों के झटकों से भी नही उभरा था कि फिर से एक नया फरमान जारी हुआ जिसमें एनआईटी श्रीनगर की नॉन टीचिंग स्टाफ के इंटरव्यू के लिए जयपुर सेंटर चुना गया है । जिस प्रदेश से चुने गए सांसद पर्वतीय प्रदेश में बंगाल के लिए आरक्षण की माँग करते है, उस प्रदेश के युवा का भविष्य ऐसे ही बर्बाद होता रहेगा । जो एनआईटी जयपुर से वापिस श्रीनगर शिफ्ट कर के सरकार के तमाम नेता हो, चाहे वो केंद्र सरकार में शिक्षा मंत्री, राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री तक क्रेडिट लेने से नही चूके,क्या वो इस फ़ैसले की जिम्मेदारी लेने भी आगे आएंगे, या अगल बगल झांकने लगेगें।
उत्तराखंड कोऑपरेटिव बैंक की परीक्षा उत्तराखंड से बाहर,एनआईटी श्रीनगर के नॉन टीचिंग स्टाफ का इंटरव्यू उत्तराखंड से बाहर,ऐसे फैसले से तो उत्तराखंड राज्य निर्माण में सीधे तौर से प्रश्नचिन्ह उठ रहा है कि 18 साल के प्रदेश में यहां सरकार मात्र एक इंटरव्यू के लिए संसाधन भी नही जुटा पा रही है और यह सब उस समय घटित हो रहा है जब शराब की फैक्ट्रियों के लिए पहाड़ो में जमीनों का एकड़ो के भाव अधिग्रहण हो रहा है । क्या प्रशासन यह उम्मीद कर रहा है कि पुरोला मोरी या पर्वतीय जिलों का कोई बेरोजगार जयपुर पहुँच जाएगा ? हाँ जिनसे प्रशासन उम्मीद कर रहा है कि यह जयपुर पहुँच जाएंगे,उनके लिए इंटरव्यू करवा रहे है तो यह फैसला बिल्कुल सही है।