सभी सम्मानित पाठकों को याद होगा कि पर्वतजन ने अपने 06 जुलाई 2019 और 14 जुलाई 2019 के अंक में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण USDMA में हुये बड़े भर्ती घोटाले का खुलासा किया था। आपदा प्राधिकरण में अधिकारियों द्वारा अपने खास लोगों को नियमविरुद्ध चयन प्रक्रियाओं के द्वारा तथा चयन के लिए आवश्यक नियमों का उलंघन करके भारी भरकम वेतन पर अवैध नियुक्ति दे दी गयी।
आपदा प्रबंधन विभाग मुख्यमंत्री जी के अधीन है और वे ही विभागीय मंत्री भी हैं। अब इसे संयोग ही कहेंगे कि मुख्यमंत्री के अधिनस्त विभागों में ही भर्ती घोटाले हो रहे है, अभी तो उच्च शिक्षा विभाग में अयोग्य लोगों की भर्ती किये जाने की आग बुझी भी नहीं थी कि अब आपदा प्रबंधन विभाग में भी अयोग्य लोगों का चयन तथा नियमविरुद्ध भर्ती किये जाने का खुलासा हो गया है।
इस अंक में पर्वतजन आज इस भर्ती घोटाले पर एक और खुलासा करने जा रहा है, हमने अपने पहले प्रकाशित अंकों में यह आशंका जताई थी कि इस भर्ती में ज्यादा अनुभव रखने वाले विभागीय कार्मिकों को बाहर करके कम अनुभव रखने वाले लोगों का चयन जानबूझकर और पूर्वनियोजित होकर किया गया है, और अब इस बात का खुलासा RTI से प्राप्त सूचना से हो गया है कि आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों ने पूर्वनियोजित होकर इस भर्ती घोटाले को अंजाम दिया है।
खुलासा न. 1- इस भर्ती में अयोग्य लोगों की नियुक्ति की गयी है—-RTI में खुलासा हुआ है कि कंसलटेंट के पद पर नियुक्त की गयी श्रीमती सुरभि कुण्डलिया इस पद के लिए अयोग्य थीं, कंसलटेंट के पद के लिए 05 वर्ष का अनुभव माँगा गया था लेकिन सुरभि कुण्डलिया के पास मात्र 04 वर्ष 08 माह का ही अनुभव है। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा RTI में दिए गये प्रमाण पत्रों से इसकी पुष्टि हो गयी है।
खुलासा न. 2- नोडल अधिकारी द्वारा इंटरव्यू के दिन सुरभि कुण्डलिया को बिना डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के ही इंटरव्यू में शामिल होने दिया गया। इंटरव्यू के दिन श्रीमती सुरभि कुण्डलिया के पास पूरे अनुभव प्रमाण पत्र नहीं थे, पूरे अनुभव प्रमाण पत्र न होने के बावजूद भी उनका अभ्यर्थन निरस्त नहीं किया गया। नोडल अधिकारी द्वारा उन्हें इंटरव्यू में शामिल होने की नियमविरुद्ध अनुमति प्रदान कर दी गयी, और अनुमति देने के साथ यह भी लिखित आदेश दिया गया कि चयन होने पर सुरभि कुंडलिया द्वारा यदि पूर्ण अभिलेख उपलब्ध नहीं करवाये जायेंगे तो उनका चयन निरस्त कर दिया जाएगा।
खुलासा न.-3 बिना अनुभव प्रमाण पत्रो के सुरभि कुण्डलिया ने इंटरव्यू भी दिया और उनका कंसलटेंट के पद पर चयन भी कर लिया गया। ज्वाइनिंग के दिन भी सुरभि कुण्डलिया द्वारा पूरे अनुभव प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं करवाये गये। उनके द्वारा सिर्फ 04 वर्ष और 08 माह के अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये गये, इसके बावजूद भी उनका चयन निरस्त नहीं किया गया और उन्हें इस पद के लिए अयोग्य होने के बावजूद भी चुपचाप अवैध नियुक्ति दे दी गयी।
इससे यह तो स्पष्ट है कि अधिकारियों द्वारा बार बार उनको अनैतिक लाभ दिया गया और उनकी फर्जी नियुक्ति भी कर दी गयी। अब आलम ये है कि विभागीय कार्मिक द्वारा इस अयोग्य और अवैध नियुक्ति के विरुद्ध दिये गये प्रत्यावेदन पर नोडल अधिकारी कार्यवाही करने में खुद को असमर्थ बता रहे हैं और अपने ही लिखित आदेश को धूल चटा रहे हैं।
खुलासा होने के बावजूद भी जीरो टॉलरेंस का राग अलापने वाले मुख्यमंत्री और पारदर्शी व निष्पक्ष भर्ती करने का दावा करने वाले ईमानदार विभागीय अधिकारी इस अयोग्य नियुक्ति को निरस्त करने के बजाय इसे बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
खुलासा न.- 4 स्क्रूटनी कमिटी ने आवेदन पत्रों की स्क्रूटनी में पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया है। RTI से प्राप्त डाक्यूमेंट्स से पता चला है कि IEC Officer के पद के लिए कुल 26 आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे, जिसमे से 06 आवेदन पत्र इसलिए निरस्त कर दिये गये क्योंकि उन 06 आवेदकों ने अपने आवेदन पत्र के साथ अनुभव प्रमाण पत्र नहीं लगाये थे। अब सवाल यह है कि जब IEC Officer के पद के लिये अधूरे आवेदन पत्रों को स्क्रूटनी के समय ही निरस्त कर दिया गया तो फिर स्क्रूटनी कमिटी ने कंसलटेंट और प्लानर के पद के लिए श्रीमती सुरभि कुण्डलिया द्वारा भेजे गये बिना अनुभव प्रमाण पत्रों के अधूरे आवेदन पत्रों को स्क्रूटनी के समय ही निरस्त क्यों नहीं किया।
स्क्रूटनी कमिटी ने पक्षपातपूर्ण और असमानता का व्यवहार करते हुये श्रीमती सुरभि कुण्डलिया को अनुचित लाभ दिया और उनके अधूरे आवेदन पत्रों को निरस्त नहीं किया और उनको सॉर्ट लिस्ट करते हुये विभागीय रिकॉर्ड में सुरभि कुण्डलिया का कार्य अनुभव फर्जी तरीके से 06 वर्ष का दिखाया गया। जिन 06 लोगों के आवेदन निरस्त कर दिए गये उनके साथ तो अन्याय हुआ है और उनसे रोजगार का अवसर भी नियमविरुद्ध छीन लिया गया।
खुलासा न. 5- राज्य् आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के विज्ञापित पदों, सीनियर कंसलटेंट, कंसलटेंट, असिस्टेंट कंसलटेंट, प्लानर तथा जियोलॉजिस्ट के पद के लिये नियमों का उलंघन करके विषय विशेषज्ञ नामित किया गया और सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि IEC officer के पद के इंटरव्यू में तो कोई भी विषय विशेषज्ञ नामित ही नहीं किया गया, बिना विषय विशेषज्ञ के ही इस पद का इंटरव्यू करवा दिया गया और नियुक्ति भी कर दी गयी। यहाँ भी नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई गयी हैं फिर भी अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने साफ़ सुथरी निष्पक्ष भर्ती की है, इसलिये इसे निरस्त करने की आवश्यकता नहीं है।
खुलासा न. 6- 25 अप्रैल 2019 को मुख्यसचिव की अध्यक्षता में हुयी शासी निकाय की बैठक में मुख्यसचिव तथा सचिव आपदा प्रबंधन ने यह निर्णय लिया था कि प्राधिकरण के इन पदों की नियुक्ति में पूर्व से कार्यरत कार्मिकों को चयन में वरीयता दी जायेगी लेकिन इन पदों के साक्षात्कार में पूर्व से कार्यरत विभागीय कर्मचारियों को वरीयता देने की कोई भी व्यवस्था नहीं की गयी और अपने ही लिए गए निर्णय को दरकिनार कर अपने ख़ास लोगों का चयन कर दिया गया। यदि विभागीय कार्मिकों को वरीयता दी जाती तो विभागीय कार्मिकों का ही चयन होता क्योंकि उनका अनुभव सबसे ज्यादा था, फिर ऐसे में अपने चहेतों की नियुक्ति कर पाना संभव नहीं होता इसलिए पूर्व से कार्यरत कार्मिकों की वरीयता ही गायब कर दी गयी।
खुलासा न. 7- ज्यादातर पदों में ऐसे लोगों का चयन किया गया है जिनका कार्य अनुभव अन्य आवेदकों के मुकाबले सबसे कम था। ज्यादा अनुभव रखने वाले आवेदकों का चयन नहीं किया गया। अब ऐसा किसलिए किया गया यह तो आसानी से समझ में आ रहा है। इसके बावजूद भी आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी ये दावा कर रहे हैं कि उन्होंने फेयर सलेक्शन करते हुये योग्य लोगों का चयन किया है।
खुलासा न. 8- प्राधिकरण के ज्यादातर पदों में world bank द्वारा संचालित Udrp परियोजना में कार्यरत कार्मिकों का ही चयन किया गया है। यहाँ तक की वेटिंग लिस्ट में भी ज्यादातर Udrp परियोजना के कार्मिकों को ही रखा गया है। यहाँ पर गौर करने वाली बात यह है कि जिस Udrp परियोजना का यहाँ पर जिक्र किया गया है उस परियोजना के project director वर्तमान आपदा प्रबंधन सचिव अमित नेगी जी ही हैं और प्राधिकरण के इन पदों के चयन समिति के मुखिया भी अमित नेगी जी ही हैं। Udrp परियोजना 30 जून 2019 को समाप्त हो चुकी है इसलिए वहां बेरोजगार हो रहे कार्मिकों को यहाँ प्राधिकरण में एडजस्ट कर दिया गया, और इसके लिये सारे नियम कानून ताक पर रख दिये गये, फिर भी कह रहें हैं कि सिलेक्शन तो फेयर ही हुआ है।
इस पूरी भर्ती प्रक्रिया पर वरिष्ठ भाजपा नेता श्री रविन्द्र जुगरान पहले ही आपत्ति दर्ज करवा चुके हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री और मुख्यसचिव को 12 जुलाई को दिए अपने पत्र के माध्यम से इस भर्ती घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, लेकिन अभी तक तो कोई कार्यवाही हुई नहीं है। रविन्द्र जुगरान ने यह भी आरोप लगाया है कि आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी पहले भी दो बार प्राधिकरण के अंतर्गत अपने चहेतों की फर्जी अवैध नियुक्ति कर चुके हैं, वे मामले अभी न्यायालय में विचाराधीन है।
रविन्द्र जुगरान ने यह भी आरोप लगाया है कि आपदा प्राधिकरण के अंतर्गत विभिन्न पदों पर की गयी 08 लोगों की नियुक्ति भी नियमविरुद्ध और अवैध है। रविन्द्र जुगरान ने स्पष्ट किया है कि किसी भी सूरत में अवैध नियुक्ति करने वाले अधिकारियों को तथा अवैध नियुक्ति पाने वाले लोगों को बक्शा नहीं जाएगा। यदि ये नियुक्तियां जल्द ही निरस्त नहीं की गयी तो वे इस प्रकरण को भी अन्य प्रकरणों की भाँती न्यायालय ले जाएंगे। देखते हैं इस भर्ती घोटाले पर मुख्यमंत्री जी की क्या प्रतिक्रिया होगी, जीरो टॉलरेंस की कार्यशैली के तहत तो इस भर्ती को तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए क्योकि इस भर्ती में वाकई नियमों की पूर्णतः अनदेखी की गयी है। जिन कन्धों पर उत्तराखंड के वर्तमान और भविष्य का दारोमदार है, वे ही अधिकारी अपने चहेते अयोग्य लोगों की फर्जी नियुक्तियां करके उत्तराखंड और उत्तराखंड के पढ़े लिखे योग्य लोगों के साथ अन्याय करके उन्हें धोखा दे रहे हैं।