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एक्सक्लूसिव: हाईकोर्ट का नैनीताल पर सबसे बड़ा आदेश। मच जाएगी हलचल

August 29, 2019
in पर्वतजन
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कमल जगाती, नैनीताल

उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने नैनीताल को ईको सेंसटिव ज़ोन बनाने और सूखाताल में जलभराव करने संबंधी एक जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए संवेदनशील सात नंबर में बसे लोगों को पुनर्वास कराने और सूखाताल के अवैध निर्माण को नियमानुसार ध्वस्त करने समेत कई अन्य महत्वपूर्ण आदेश दिए हैं।
प्रो.अजय रावत ने वर्ष 2012 में नैनीताल शहर को ईको सेंसटिव ज़ोन बनाने और सूख चुके सूखाताल में दोबारा जलभराव के उपाय करने संबंधी एक जनहित याचिका यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य के खिलाफ दायर की थी। इस चर्चित याचिका में नैनीताल के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर सुनवाई हुई थी।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशू धूलिया और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने मंगलवार को जारी किए अपने निर्णय में कहा कि वर्ष 1993 में नैनीताल निवासी प्रो.अजय रावत बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी। इसमें राज्य सरकार को नैनीताल में अनियंत्रित अतिक्रमण रोकने और झील बचाने के निर्देश दिए गए थे।

सुप्रीम कोर्ट के 1993 के आदेश के वर्षों बाद उच्च न्यायालय ने इस आदेश में कहा है कि नैनीताल की बिगड़ी व्यवस्थाओं को सुधारने का समय आ गया है।
न्यायालय ने बिंदुवार कहा कि नैनीताल का नया मास्टर प्लान नहीं बना है, इसे सरकार छह माह के भीतर बनाकर तैयार करे।
न्यायालय ने कहा कि जिला योजना में नैनीताल, भीमताल, कमल ताल, सातताल, नौकुचियाताल, खुर्पाताल, मलुवाताल, सूखाताल आदि झीलों को सुधारने और संवारने की योजना है जिसे जल्द से जल्द पूरा किया जाए।
न्यायालय ने नैनीताल शहर की सभी सड़कों को अतिक्रमण मुक्त बनाने को कहा है।
न्यायालय ने सूखाताल के डूब क्षेत्र समेत शहर के अन्य स्थानों से नियमानुसार अतिक्रमण हटाने को कहा है। न्यायालय ने सूखाताल के शोर क्षेत्र में किसी भी तरहः के निर्माण पर तत्काल रोक लगाने को कहा है। अतिक्रमण में शामिल अधिकारीयों को न्यायालय ने व्यक्तिगत रूप से दोषी माना है।
सूखाताल के कैचमेंट क्षेत्र में अवैध निर्माण और सात नंबर समेत ज़ोन 1 और 2 से लोगों का निष्कासन एवं अतिक्रमण के नियमानुसार ध्वस्तीकरण का भी आदेश खण्डपीठ ने दे दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने संवेदनशील बलिया नाला क्षेत्र से लोगों को सुरक्षित स्थान में रैस्क्यू करने पर भी संतुष्टि जताई है ।
न्यायालय ने नैनीताल में ट्रैफिक नियंत्रित करने और पार्किंग बनाने के लिए सैटेलाइट पार्किंग, भारी वाहनों पर रोक, नैनीताल शहर में होटल निर्माण पर रोक, सरकार 20 से 25 सीटर बस हल्द्वानी, कालाढूंगी और भवाली से शुरू करे, नो पार्किंग ज़ोन बनाकर सख्ती करी जाए, अपर माल रोड शीतकाल में शाम 6 से 8 और ग्रीष्मकाल में शाम 6 से 9 बजे तक बंद रहे।
न्यायालय ने स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी को नैनीताल के लिए नए टैक्सी परमिट नहीं देने के लिए कहा जबकि न्यायालय ने अथॉरिटी के विवेक पर प्रार्थी के वाहन के पुराने होने या खटारा होने पर ही नया परमिट ट्रांसफर करने को कहा है।
न्यायालय ने नाव के 222 लाइसेंसों और घोड़ों के 94 + 50(सीजन में) लाइसेंसों की सीमा को नहीं बढ़ाने को कहा है जबतक कोई आपातकाल की स्थिति सामने ना आ जाए।
न्यायालय ने प्रशासन से नैनीताल में नए होटलों को हतोत्साहित करते हुए बाहरी क्षेत्र में छोटे होटलों और गेस्ट हाउसों को बढ़ावा देने को कहा है।
इसके साथ ही खण्डपीठ ने प्रो.अजय रावत की पहली प्रार्थना में नैनीताल को ईको सेंसिटिव ज़ोन बनाने के मामले में भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय पर निर्णय लेने के लिए छोड़ दिया है। दूसरी प्रार्थना में न्यायालय ने सचिव आपदा प्रबंधन को निर्देशित किया है कि वो नैनीताल में निर्माण और विकास प्लान पर पुनःविचार करे और नियमविरुद्ध कार्यों पर एक्शन ले। तीसरी प्रार्थना पर न्यायालय ने कहा कि कुमाऊं आयुक्त और नैनीताल जिलाधिकारी सूखाताल डूब क्षेत्र में निर्माण पर रोक लगाएं और अवैध निर्माण को बलपूर्वक हटाएं।
न्यायालय ने कहा कि नैनीताल के डी.एम.और एस.एस.पी.दूसरे विभागों के साथ मिलकर ट्रैफिक कंट्रोल पर फरवरी माह से ही काम शुरू कर लें जिसमें वो आई.आई.टी.दिल्ली की रिपोर्ट की मदद भी ले लें।


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